बागेश्वर जिले के अधिकतर गांव बर्फ से लकदक

बागेश्वर। जिले में लगातार हो रही बर्फबारी से जिले के अधिकतर गांव बर्फबारी से लकदक हैं। कपकोट के अलावा कत्यूर घाटी के ऊंचाई वाले दर्जनों गांव बर्फ से पट गए हैं। सात साल बाद कत्यूर घाटी के गांवों में बर्फबारी का नजारा देखने को मिला। कौसानी व ग्वालदम में पर्यटकों ने इस खूबसूरत नजारे को अपने कैमरे में कैद किया। स्थानीय लोगों व बच्चों ने बर्फबारी का खूब आनंद उठाया।
कत्यूर घाटी के ह्वील-कुलवान, सिरकोट, ज्वणास्टेट, लोहागड़ी, दाबू-हड़ाप, पय्या, सलखन्यारी, सिमगड़ी, कंधार, उड़खुली, लमचूला, पांडुस्थल, जखेड़ा, अणा, लोहारचौरा, बद्रीनाथ, सौली, नाकुरी समेत गोपालकोट की पहाड़ियों, कौसानी, बौधाणगड़ी, पिनाथ व ग्वालदम में जमकर हिमपात हुआ। नीचे बसे गांवों में बर्फ तो गिरी पर टिकी नहीं। जिससे घाटी में रहने वाले लोग मायूस नजर आए। गरुड़ बाजार, टीटबाजार, गागरीगोल आदि इलाकों से लोग बर्फबारी का आनंद लेने कौसानी व ग्वालदम पहुंचे और बर्फ में जमकर सेल्फी ली। इससे पूर्व पंद्रह दिसंबर 2014 में कत्यूर घाटी के सभी गांवों में जमकर बर्फबारी हुई थी। सात साल बाद फिर हुई बर्फबारी से लोग प्रफुल्लित नजर आए। बर्फबारी होने से एक बार फिर कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बर्फ़ीली हवाएं चलने से ठंड में काफी इजाफा हो गया है। शुक्रवार को ठंड से निचली घाटी के लोग घरों में ही दुबके रहे। जबकि ऊंचाई वाले इलाकों में ग्रामीणों ने बर्फ के गोले बनाकर एक दूसरे पर फेंके और जमकर मस्ती की। इसके अलावा कपकोट, दुग-नाकुरी तहसील के गांव में जमकर बर्फ पड़ी। गांवों में प्रचार को जा रहे कार्यकर्ता भी परेशान रहे। इसके अलावा बर्फबारी के चलते रिखाड़ी-बाछम, कपकोट- शाम और रीमा-धरमघर मोटर बंद हो गई है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि बंद मार्ग खोलने का काम जारी है।

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