बाल आयोग में केवल फाइल खुलने पर ही स्कूलों ने सुलझा लिए मसले

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से वार्ता में अपनी 3 साल की उपलब्धियां का लेखा-जोखा रखा। उनका कार्यकाल अगले वर्ष जनवरी माह में पूरा हो रहा है। मीडिया से बातचीत में गीता खन्ना ने कहा की बाल अधिकारों से जुड़े अनेक मामलों और अपराधों में बाल आयोग ने पहले से अधिक सक्रिय भूमिका निभाई है। आयोग को लेकर लोगों का नजरिया सकारात्मक रहा है और लोगों को लगता है कि आयोग उनकी मदद करने में सक्षम है। आयोग के पास बीते तीन सालों में सर्वाधिक मामले शिक्षा के अधिकार के उल्लंघन, फीस की मनमानी और स्कूलों में उत्पीड़न से संबंधित रहे, जिस पर त्वरित कार्रवाई की गई। स्कूलों से जुड़े करीब सात से सत्तर मामले ऐसे रहे जिसमें फाइल खुलने मात्र पर ही स्कूलों की ओर से मसले सुलझा लिए गए। ये आयोग के बढ़ते असर को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को शिक्षा के अधिकार को लेकर ओर भी जागरुक होने की जरुरत है। इसके लिए बाल आयोग दिसम्बर माह में एक कार्यशाला का भी आयोजन करेगा। ऐसे स्कूलों को चिन्हित किया जा रहा है, जो माइनॉरिटी और छात्रावास का बहाना कर आरटीई का पालन नहीं कर रहे हैं।

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