अस्पताल पहुंचाने के दौरान जंगल में ही हुआ महिला का प्रसव
सड़क और स्वास्थ्य सुविधा की कमी
चमोली। सडक़ और स्वास्थ्य सुविधा की कमी से जूझ रही निजमूला घाटी में रविवार को व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। घाटी के भनाली गांव से पालकी के सहारे अस्पताल जा रही महिला को जंगल के रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसके बाद दो किमी दूर स्थित गांव से महिलाएं मौके पर पहुंची और ग्वादिक गदेरे में ही महिला का प्रसव कराया। बाद में दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया। चमोली जिले की निजमूला घाटी राज्य स्थापना के 20 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। घाटी के ग्राम पंचायत ईराणी के भनाली गांव में भी हालात अलग नहीं हैं। गांव से जंगल के रास्ते पांच किमी पैदल सफर कर गांव तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा क्षेत्र में कोई भी अस्पताल न होने के कारण ग्रामीणों को 32 किमी दूर जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है। इसके चलते बीमारों और गर्भवती महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रविवार को भनाली गांव निवासी मुकेश राम की 24 वर्षीय गर्भवती पत्नी मीना जंगल में चारापत्ती लेने गई थी। बताया गया कि इसी दौरान उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। प्रसूता की स्थिति बिगड़ती देख ग्रामीण पालकी के सहारे महिला को चिकित्सालय लेकर जाने लगे। लेकिन, गांव से दो किलोमीटर की दूरी पार करने के बाद मीना की प्रसव पीड़ा बढ़ गई। इस पर गांव की महिलाओं ने ग्वादिक गदेरे में ही उसका प्रसव करा दिया। इसके बाद ग्रामीण प्रसूता और नवजात को वापस गांव ले गए। बाद में उसे अस्पताल पहुंचाया गया। हालांकि अब जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। स्थानीय निवासी रणजीत कुमार, हिवाली देवी, जेठुली देवी, हेमा देवी, गुड्डी देवी, सुला देवी, गणेशी देवी का कहना है कि गांव में सडक़ और स्वास्थ्य की सुविधा न होने से प्रसव के दौरान महिलाओं को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। वहीं नियमित जांच भी गर्भवती महिलाओं के लिए किसी चुनौती से कम नही हैं। ग्रामीणों ने क्षेत्र में ही सडक़ के साथ ही स्वास्थ्य सुविधा भी मुहैया कराने की मांग की है।