14/07/2021
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हैल्पर्ज यूनियन राज्य कमेटी ने मांग पत्र सौंपा

आरएनएस
सोलन(अर्की) : आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हैल्पर्ज यूनियन (संबंधित सीटू)राज्य कमेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मांगों के बारे में एक मांग पत्र सौंपा। नायब तहसीलदार अर्की के माध्यम से सौंपे गए इस ज्ञापन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं ने कोविड-19 के दौरान अपनी परेशानियों के बारे में कहा है कि कोविड-19 महामारी के दूसरे चरण के दौरान देश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की स्थिति चिंताजनक है।
उनका कहना था कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में भी सामुदायिक जागरूकता, सर्वेक्षण, और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल जैसी सेवाओं के कर्तव्यों को सौंपा गया था। वह आशा कार्यकर्ताओं औ
र अन्य फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कोविड-19 की पहचान और उपचार में वार्ड स्तर की समितियों का हिस्सा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना था कि जिला प्रशासन द्वारा टीकाकरण कर्तव्यों के अलावा उन्हें घर-घर जाकर कोविड सर्वेक्षण करना ,लोगों को कोविड टेस्ट के लिए ले जाना, रोगियों को प्राथमिक चिकित्सा मार्गदर्शन देना उनके तापमान में ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करना आदि काम सौंपे गए हैं। यही नहीं उन्हें छुट्टी मिलना भी बहुत मुश्किल है तथा दिन में कई घंटे काम करना पड़ता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं ने खेद व्यक्त किया है कि कई लोगों की जान बचाने के इस कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोई सुरक्षात्मक उपकरण नहीं दिए जाते हैं। यहां तक कि अधिकांश राज्य में मास्क व सैनिटाइजर भी नहीं दिया जाता है। इसका परिणाम है कि सैकड़ों वर्कर कोविड-19 की दूसरी लहर में सैंकड़ों वर्कर संक्रमित हो रहे हैं और कोई से होने वाली मौतों में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
उनका कहना था कि आंगनबाड़ी वर्कर्स के परिवार के कुछ सदस्य भी संक्रमित हो रहे हैं और कई की मौत हो चुकी है। कई राज्यों में उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है और वह भारत सरकार द्वारा घोषित पचास लाख की जीवन बीमा योजना के कवरेज के हकदार भी नहीं है इसलिए अधिकांश परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है। उन्होने मांग की है कि कोविड-19 संबंधी ड्यूटी में लगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए सभी को पर्याप्त पीपीई किट, मास्क, दस्ताने, साबुन और सैनिटाइजर उपलब्ध करवाया जाए। निश्चित किया जाए कि सभी श्रमिकों का टीकाकरण हो।
ड्यूटी पर तैनात सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए भी रैडम जांच होनी चाहिए। फ्रंटलाईन वर्कर्स का मुफ्त इलाज किया जाना चाहिए। सरकार पचास लाख के जीवन बीमा करवाने को भी ड्यूटी पर तैनात सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शामिल करें। कोविड ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के परिवारों को तत्काल पचास लाख की बीमा राशि का भुगतान किया जाए। संक्रमण होने पर दस लाख का मुआवजा दिया जाए, 1 कर्मियों को 10000 प्रति माह जोखिम भत्ता और अतिरिक्त काम के लिए अतिरिक्त वेतन सुनिश्चित किया जाए। सभी लाभार्थियों को अगले 6 माह तक पूरक पोषाहार पर्याप्त मात्रा में दिया जाए। क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया जाए प्रोग्राम न्यूट्री गार्डन की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की नहीं होनी चाहिए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की सभी लंबित वेतन राशियां और सभी भत्ते तुरंत जारी किए जाने चाहिए। कई राज्य में 2 से 6 महीने का वेतन आदि लंबित है अतः वेतन के नियमित भुगतान सुनिश्चित किया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के वेतन तथा लाभार्थियों के पोषण के लिए आवेदन को पोषण ट्रैकर एप से नहीं जोड़ा जाए वेतन तुरंत जारी किया जाए तथा आईसीडीएस के डिजिटलीकरण से पहले पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों का स्कूलों में नहीं किया जाना चाहिए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना था कि जिला प्रशासन द्वारा टीकाकरण कर्तव्यों के अलावा उन्हें घर-घर जाकर कोविड सर्वेक्षण करना ,लोगों को कोविड टेस्ट के लिए ले जाना, रोगियों को प्राथमिक चिकित्सा मार्गदर्शन देना उनके तापमान में ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करना आदि काम सौंपे गए हैं। यही नहीं उन्हें छुट्टी मिलना भी बहुत मुश्किल है तथा दिन में कई घंटे काम करना पड़ता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं ने खेद व्यक्त किया है कि कई लोगों की जान बचाने के इस कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोई सुरक्षात्मक उपकरण नहीं दिए जाते हैं। यहां तक कि अधिकांश राज्य में मास्क व सैनिटाइजर भी नहीं दिया जाता है। इसका परिणाम है कि सैकड़ों वर्कर कोविड-19 की दूसरी लहर में सैंकड़ों वर्कर संक्रमित हो रहे हैं और कोई से होने वाली मौतों में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
उनका कहना था कि आंगनबाड़ी वर्कर्स के परिवार के कुछ सदस्य भी संक्रमित हो रहे हैं और कई की मौत हो चुकी है। कई राज्यों में उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है और वह भारत सरकार द्वारा घोषित पचास लाख की जीवन बीमा योजना के कवरेज के हकदार भी नहीं है इसलिए अधिकांश परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है। उन्होने मांग की है कि कोविड-19 संबंधी ड्यूटी में लगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए सभी को पर्याप्त पीपीई किट, मास्क, दस्ताने, साबुन और सैनिटाइजर उपलब्ध करवाया जाए। निश्चित किया जाए कि सभी श्रमिकों का टीकाकरण हो।
ड्यूटी पर तैनात सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए भी रैडम जांच होनी चाहिए। फ्रंटलाईन वर्कर्स का मुफ्त इलाज किया जाना चाहिए। सरकार पचास लाख के जीवन बीमा करवाने को भी ड्यूटी पर तैनात सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शामिल करें। कोविड ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के परिवारों को तत्काल पचास लाख की बीमा राशि का भुगतान किया जाए। संक्रमण होने पर दस लाख का मुआवजा दिया जाए, 1 कर्मियों को 10000 प्रति माह जोखिम भत्ता और अतिरिक्त काम के लिए अतिरिक्त वेतन सुनिश्चित किया जाए। सभी लाभार्थियों को अगले 6 माह तक पूरक पोषाहार पर्याप्त मात्रा में दिया जाए। क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया जाए प्रोग्राम न्यूट्री गार्डन की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की नहीं होनी चाहिए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की सभी लंबित वेतन राशियां और सभी भत्ते तुरंत जारी किए जाने चाहिए। कई राज्य में 2 से 6 महीने का वेतन आदि लंबित है अतः वेतन के नियमित भुगतान सुनिश्चित किया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के वेतन तथा लाभार्थियों के पोषण के लिए आवेदन को पोषण ट्रैकर एप से नहीं जोड़ा जाए वेतन तुरंत जारी किया जाए तथा आईसीडीएस के डिजिटलीकरण से पहले पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों का स्कूलों में नहीं किया जाना चाहिए।
आईसीडीएस को स्थाई बनाया जाए व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वर्कर के रूप में नियमित किया जाए। उन्हें 45 वें आईएलसी की सिफारिश के अनुसार 21000 प्रति माह न्यूनतम वेतन और पेंशन दिया जाए । इस अवसर पर अर्की प्रोजैक्ट की अध्यक्ष बिमला ठाकुर, महासचिव स्वर्चा गुप्ता, रीता तथा कांता आदि उपस्थित रहीं।