एक्शन रिसर्च के विविध पहलुओं से रूबरू हुए प्राध्यापक एवं शोधार्थी

अल्मोड़ा। इंस्टीट्यूट आॅफ एडवांस स्टडीज इन एजुकेशन फैकल्टी ऑफ एजुकेशन और एससीईआरटी के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय आॅनलाइन एक्शन रिसर्च वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ एसएसजे विवि के शिक्षा विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो विजयारानी ढ़ौडियाल ने किया। पहले सेशन में रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्रो0 यशपाल सिंह ने एक्शन रिसर्च के कॉन्सेप्ट से परिचित कराया गया। साथ ही एक्शन रिसर्च की उपयोगिता एवं महत्व के विषय में जानकारी दी। बताया कि क्रियात्मक अनुसंधान में शिक्षक स्वयं ही शोधार्थी होता है, एक्शन रिसर्च लक्ष्य निर्धारित होता है, जिसमें समस्या का चयन किया जाता है और संबंधित साहित्य की समीक्षा भी जाती है। उन्होंने कहा कि एक्शन रिसर्च की कुछ सीमाएं भी होती हैं। एक्शन और रिसर्च में विभेद करना मुश्किल हो जाता है, पूरा करने में समय लगता है। इसे हम रिपीट नहीं कर सकते हैं इसकी मदद से समय सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता है।

दूसरे सेशन को संबोधित करते हुए संदर्भदाता प्रो0 एनसी ढौड़ियाल ने जूम एप में जुड़े प्रदेश के विभिन्न डायटों के प्राध्यापकों से एक्शन रिसर्च के क्षेत्र में पेश आ रहीं व्यवहारिक समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। उसके समाधान करने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि एक्शन रिसर्च की समस्याओं को करने से पहले हमें स्वयं को मोटिवेट करना अत्यंत आवश्यकीय है। वहीं, तीसरे और अंतिम सेशन में प्रो रंजनी रंजन सिंह ने एक्शन रिसर्च के महत्व, विशेषताएं और समाज में उसकी उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि एक्शन रिसर्च के क्षेत्र में नई नई चुनौतियां पेश आ रही है। एक शिक्षक के तौर पर हमें त्वरित समस्याओं के समाधान करना आना चाहिए।


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