अब प्राइवेट कंपनियों की मिसाइल देंगी दुश्मन को मात

डीआरडीओ ने दी मिसाइल को मंजूरी

नई दिल्ली (आरएनएस)। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मिसाइल सिस्टम को विकसित करने और उत्पादन करने के लिए प्राइवेट सेक्टर की फर्मों को अनुमति दे दी है। ये फैसला घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।
डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों ने आरएनएस को बताया, डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर (डीसीपीपी) प्रोग्राम के तहत हमने प्राइवेट सेक्टर को अपने साथ मिसाइल सिस्टम विकसित करने और फिर उनका उत्पादन करने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भागीदारी के लिए बहुत उत्साह दिखाया है। वर्टिकली लॉन्च की शॉर्ट-रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (वीएल-एसआरएसएएम) परियोजना के लिए बोलियां भी लगी हैं।यह प्रयास नरेंद्र मोदी सरकार की मेक इन इंडिया परियोजना के तहत किया जा रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में डीआरडीओ ने देश को रक्षा क्षेत्र में एक बहुत बड़ी खुशखबरी दी थी। डीआरडीओ ने इसी माह एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) टेक्नोलॉजी का आखिरी टेस्ट पूरा कर लिया है। भारतीय पनडुब्बियों को और भी ज्यादा घातक बनाने की दिशा में इसे बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि दुनिया के कुछ विकसित देशों के पास ही अभी यह टेक्नोलॉजी है। इस टेक्नोलॉजी से पनडुब्बियों में ना तो ज्यादा तेज आवाज होगी और ना ही दुश्मन उसका जल्दी भनक ही लगा पाएगा।


Exit mobile version