36 साल बाद महाकाल मंदिर में शनिप्रदोष के संयोग में मनेगी मकर संक्रांति

उज्जैन (आरएनएस)। मध्यप्रदेश के उज्जैन के ज्योर्तिलिंग महाकाल मंदिर में 15 जनवरी को 36 साल बाद शनिप्रदोष के संयोग में मकर संक्रांति मनाई जाएगी। तडक़े चार बजे भस्मरती व सुबह 7.30 बजे शासकीय आरती में भगवान को तिल के उबटन से स्नान कराया जाएगा। पश्चात तिल्ली से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती की जाएगी। मंदिर समिति सदस्य पं. आशीष पुजारी ने बताया कि महाकाल मंंदिर में मकर संक्रांति का पर्वकाल 15 जनवरी को मनेगा। भस्मारती में फलाहार के रूप में भगवान को मावे व तिल से बने पकवानों का भोग लगेगा। सुबह 7.30बजे की शासकीय आरती में दूध का भोग लगाया जाएगा। शाम 7.30 बजे संध्या आरती में भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, लड्डू आदि का नैवेद्य लगेगा। शाम चार बजे मंदिर के गर्भगृह में पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में एकादश ब्राह्मण रुद्रपाठ करेंगे। मंदिर में अकर्षक पुष्प व पतंग की सज्जा होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार ग्रह गोचन की गणना से देखें तो इस बार शनिवार के दिन प्रदोष के संयोग में मकर संक्रांति का पर्वकाल मनाया जाएगा। शनिवार के दिन प्रदोष का होना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हे। इसमें भी शनि प्रदोष के दिन मकर संक्रांति का पर्वकाल स्नान, दान तथा धार्मिक कार्यों के लिए दुर्लभ संयोग की श्रेणी में आता है। सन 2022 से पहले इस प्रकार का संयोग सन 1955 में बना था। पं. डब्बावाला के अनुसार संक्रांति पर्व पर सूर्य शनि का मकर में होना अर्थात पिता, पुत्र का एक राशि में संयुक्त होना ज्योतिष गणना से महत्वपूर्ण है। इस दिन तिल्ली का पांच प्रकार से उपयोग करना विशेष फलदायी माना गया है। तांबे के लोटे में काले तिल भरकर उस पर सोने का दाना रखकर वैदिक ब्राह्मण को दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जन्म पत्रिका में मौज्ूत व्यातिपात नाम के दोष का निवारण होता है। देव, ऋषि व पितृ की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन तीर्थ पर तिल से तर्पण करना चाहिए। यह करने से शुभ मांगलिक कार्यों में आ रही बाधा दूर होती है। आर्थिक प्रगति के योग बनते हैं। मकर संक्रांति पर तिल व तेल व तिल्ली के उबटन से स्नान करना चाहिए। पानी में काले व सफेद तिल डालकर स्नान करने से पितृ ऋण मुक्ति मिलती है। देवी देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए मकर संक्रांति पर काले व सफेद तिल से हवन करना चाहिए। भोजन में तिल का उपयोग करना भी शुभादि माना गया है।