औषधीय पादपों से आजीविका समवर्धन पर चर्चा की
अल्मोड़ा। जीबी पंत पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल में प्रो. वाईपीएस पांगती शोध प्रतिष्ठान नैनीताल एवं वनस्पति विज्ञान विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय की ओर से एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें कोविड-19 परिदृश्य में हिमालयी औषधीय पादपों से आजीविका समवर्धन में भूमिका पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में देश के कई हिस्सों से 10 औषधीय पादप विशेषज्ञ और 300 से ज्यादा प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के शुभारंभ मौके पर सभी ने प्रो. वाईपीएस पांगती को श्रृद्धांजलि देते हुए उनके द्वारा किये गये कार्यो को याद किया। प्रो. वाईपीएस पांगती शोध प्रतिष्ठान नैनीताल के अध्यक्ष डा. बीएस कालाकोटी ने हिमालयी पादप संपदा किये जा रहे कार्यो की जानकारी दी। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक डा. जीएस रावत ने हिमालयी ने कार्यक्रम की अगुवाई गई। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक आपदा में हिलामयी औषधीय पादप एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उन्होंने औषधीय पादप संपदा को संरक्षित करते हुए उनके वृहद उपयोगों का आंकलन कर हिमालयी क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए जीविका के साधन के रूप में बढ़ावा देने की बात कहीं। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में पायी जानी वाली विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों से प्रवासी लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे की अपील की। पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल के निदेशक डा. आरएस रावल ने कहा कि हमें प्रकृति आधारित समाधानों को बढ़ावा देने को लेकर कार्य करना होगा। उन्होंने बताया कि हिमालयी औषधीय पादपों की खेती को बढ़ावा देकर इस वैश्विक आपदा के समय में उत्पन्न हुई बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम के अंतिम पर्यावरण संस्थान के डा. आईडी भट्ट तथा वनस्पति विज्ञान विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. ललित तिवारी ने सभी वक्ताओं तथा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में रिटायर्ड पीसीसीएफ हिमाचल प्रदेश डा. जीएस गोराया, निदेशक एचएफआरआई शिमला डा. एसएस सामंत, निदेशक सीएसआईआरआईएचबीटी पालमपुर डा. संजय कुमार, डा. सीएस सनवाल समेत कई विशेषज्ञ और प्रतिभागी शामिल रहे।