जमानत देते हुए कोर्ट अपराध की गंभीरता को देखें : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत को एक आरोपी को जमानत देने से पहले कथित अपराध की गंभीरता का मूल्यांकन करना चाहिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में अपराध की गंभीरता से इतना बेखबर नहीं हो सकता, जिसमें शादी के साल भर के अंदर की एक महिला का अस्वाभाविक अंत हो जाए। पीठ ने कहा कि कथित अपराध की गंभीरता का मूल्यांकन उन आरोपों की पृष्ठभूमि में भी होना चाहिए, जिसमें महिला को दहेज के लिए प्रताडि़त किया गया। साथ ही उसकी मौत के समय आरोपियों द्वारा की गई टेलीफोन कॉल की भी जांच होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ दहेज प्रताडऩा के विशिष्ट आरोप हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अकारण कोई आदेश न्यायिक प्रक्रिया के नियमों के खिलाफ है। पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत याचिका पर फैसला सुनाते हुए जज को विवेकपूर्ण तरीके से दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। मृतका के भाई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि शादी के समय 15 लाख नकद, एक कार और अन्य सामान दिया था, लेकिन वे और पैसे की मांग कर रहे थे।

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