आतंक का पर्याय बना गुलदार हुआ पिंजरे में कैद

अल्मोड़ा। उच्चयूर पट्टी के भैसोड़ा गांव में आतंक का पर्याय गुलदार आखिर पिंजरे में कैद हो ही गया। अब तक कई मवेशियों को शिकार बना चुका यह गुलदार दिन दहाड़े आबादी क्षेत्र में डेरा डालने लगा था। इससे मानव वन्यजीव टकराव की आशंका बनी हुई थी। विभागीय टीम गुलदार को वन्यजीव चिकित्सालय लेकर पहुंची, जहां दो दिन तक वह निगरानी में रहेगा। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया जाएगा। लमगड़ा ब्लॉक के भैसोड़ा गांव में गुलदार दो माह के भीतर 20 से ज्यादा मवेशियों को मार चुका था। हालिया ग्राम प्रधान कुसुम सिजवाली, सामाजिक कार्यकर्ता पान सिंह, सरपंच रजत सिजवाली, दलीप सिंह, पंकज सिंह, संजय सिंह, सुरेश आर्या, संजय टम्टा आदि ने डीएफओ महातिम सिंह यादव के साथ ही डीएम नितिन सिंह भदौरिया से गुलदार को कैद किए जाने का आग्रह किया था। प्रधान कुसुम के अनुसार गुलदार शाम ढलने से पहले ही गांव में धमकने लगा था। उन्होंने हिंसक वन्यजीव व इंसानी टकराव की आशंका जता किसी बड़ी घटना का अंदेशा जताया था। वन क्षेत्राधिकारी अंजनी ने मय टीम गांव का दौरा कर बीती नौ अप्रैल को पिंजरा लगाया था। मंगलवार को भैसोड़ा गांव से करीब एक किमी दूर गुलदार पिंजरे में कैद हो गया। वन क्षेत्राधिकारी के अनुसार करीब आठ वर्षीय गुलदार नर है। उसे वन्यजीव चिकित्सालय एनटीडी में रखा गया है। दो दिन निगरानी में रखे जाने के बाद पूरी तरह स्वस्थ पाए जाने पर उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ा जाएगा।