
नई दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटनाओं के बाद बीमा दावों के लंबे समय तक लटके रहने पर नाराजगी जताई। साथ ही पुलिस, वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण (एमकैट) और बीमा कंपनियों को ऐसे मामले त्वरित गति से निपटाने के लिए बहुत सारे निर्देश दिए। इसके लिए केंद्र सरकार को भी एक ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाने का निर्देश दिया गया। इसकी अगली सुनवाई 4 मई को होगी।
शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सडक़ दुर्षटना के पीडि़तों को दिए जाने वाले मुआवजे के भुगतान की व्यवस्था को ज्यादा कारगर बनाया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों को लंबित मामलों के मुआवजे का पैसा न्यायिक अधिकरणों की तरफ से संचालित बैंक खातों में जमा करने का आदेश दिया। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की पीठ ने 16 मार्च को निर्देश जारी किए। पीठ ने पुलिस, एमकैट, बीमा कंपनियों और दावा करने वालों समेत सभी हितधारकों को मामलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए सूचना तकनीक के आधुनिक उपकरणों का उपयोग करने की सलाह दी। साथ ही सडक़ दुर्घटना में घायल होने वालों या मरने वालों के परिजनों को मुआवजे के जल्द भुगतान के लिए भी तकनीक का सहारा लेने को कहा। पीठ ने इसके लिए केंद्र सरकार को ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाने का निर्देश दिया है, जो पूरे देश में अधिकरण, पुलिस अधिकारी और बीमा कंपनियों के लिए आसानी से सुलभ हो ताकि दुर्घटना मामलों का त्वरित व सुचारु निस्तारण कराया जा सके।