
अल्मोड़ा। बसौली में विभिन्न संगठनों की बैठक में बिनसर वन्य जीव विहार से सटे गांवों में जंगली जानवरों की बढ़ती चहलकदमी पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। बैठक में ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की गई और कहा गया कि हाल के दिनों में तेंदुए दिन के समय भी घरों के आसपास दिखाई दे रहे हैं। शाम ढलते ही जंगली सुअरों के झुंड आंगनों तक पहुंच रहे हैं, जबकि लंगूर और बंदरों का आतंक पहले से ही बना हुआ है। इन हालातों से ग्रामीणों में भय का माहौल है। बैठक में यह चर्चा भी सामने आई कि अन्य क्षेत्रों से पकड़े गए तेंदुओं को बिनसर अभयारण्य में छोड़े जाने की आशंका ग्रामीणों के बीच लगातार बनी हुई है। वक्ताओं ने कहा कि पूर्व में भी बाहरी क्षेत्रों से पकड़े गए जानवरों को यहां छोड़े जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। गत वर्ष बधियाकरण के बाद हल्द्वानी से बागेश्वर ले जाए जा रहे बंदरों को एक पिकअप वाहन से बिनसर अभयारण्य में छोड़े जाने का मामला सामने आया था, जिसे ग्रामीणों ने मौके पर पकड़ लिया था। ग्रामीणों ने अभयारण्य प्रशासन से स्पष्टता की मांग करते हुए कहा कि उनकी आशंकाओं को दूर किया जाए और बाहर से लाकर किसी भी हालत में हिंसक जानवरों को बिनसर क्षेत्र में न छोड़ा जाए। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि इस संबंध में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो ग्रामीणों को आंदोलनात्मक कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा। बैठक में उत्तराखंड संसाधन पंचायत के संयोजक ईश्वर जोशी, मल्ला स्यूनरा विकास मंच के अध्यक्ष चंदन सिंह बिष्ट, वन पंचायत संगठन ताकुला के अध्यक्ष सुंदर सिंह पिलख्वाल, सरपंच डूंगर सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता पूरन सिंह, लक्ष्मण सिंह, राजेंद्र सिंह सहित कई ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।


