
रुड़की(आरएनएस)। जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया अभी पूरी तरह शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन उससे पहले ही बीएलओ नियुक्त महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विरोध पर उतर आई हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने साफ शब्दों में कहा है कि वे या तो आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन करेंगी या फिर बीएलओ के रूप में डोर टू डोर सर्वे का कार्य। दोनों जिम्मेदारियां एक साथ निभाना उनके लिए संभव नहीं है। मांग न माने जाने पर बीएलओ पद से सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी गई है। गौरतलब है कि वर्ष 2027 में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इससे पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जाना है। उत्तर प्रदेश में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि उत्तराखंड में फिलहाल वर्ष 2003 और 2025 की मतदाता सूचियों का मिलान कर मैपिंग का कार्य किया जा रहा है। इसके बाद बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर नए मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा। इस कार्य में जिले में अधिकांश बीएलओ के पद पर महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैनात हैं। डीपीओ बाल विकास द्वारा आदेश जारी होते ही उत्तराखंड आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सेविका मिनी कर्मचारी संगठन ने दोहरी जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। संगठन की जिलाध्यक्ष रितेश चौहान ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि एसआईआर के दौरान बीएलओ को आंगनबाड़ी केंद्र के कार्य से रिलीव किया जाए। संगठन का कहना है कि केंद्र संचालन के साथ-साथ घर-परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्र और एसआईआर दोनों का कार्य एक साथ करना उनकी क्षमता से बाहर है। सुबह से देर रात तक घर से बाहर रहना पड़ेगा, जो व्यवहारिक नहीं है। संगठन ने चेतावनी दी है कि मांग पूरी न होने पर सभी बीएलओ सामूहिक रूप से पद से इस्तीफा दे देंगी।

