
नई टिहरी(आरएनएस)। उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग का पवित्र संगम एक बार फिर अंर्तराष्ट्रीय आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो उठा। अक्षर योग केंद्र के संस्थापक हिमालयन सिद्ध अक्षर महाराज के मार्गदर्शन में विश्वभर से आए करीब 80 साधकों के समूह ने यहां की दिव्य भूमि पर योग और आध्यात्म की गहन साधना की। यह तीसरी बार है, जब अक्षर योग केंद्र के साधकों ने इस पावन स्थल पर आकर साधना की है। इस दल में अमेरिका, चीन, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साधक शामिल रहे, जो अपनी आध्यात्मिक प्यास बुझाने के लिए देवप्रयाग पहुंचे। साधकों ने अलकनंदा और भागीरथी के पवित्र संगम पर अनेक दिव्य साधनाओं का अभ्यास किया, जिनमें भगवान के नाम का जाप, योग, आसन, गंगा स्नान करते हुए विशेष जल मग्न ध्यान और त्रिनेत्र ध्यान शामिल थे। सिद्ध अक्षर महाराज ने बताया कि इन अभ्यासों से साधकों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। साधना के बाद साधकों ने भगवान शिव का अभिषेक किया और इसके उपरांत श्री रघुनाथ मंदिर के दर्शन कर भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर पहुंचने पर मुख्य पुजारी समीर भट्ट ने मंदिर और आदि गुरु शंकराचार्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। सिद्ध अक्षर महाराज ने इस अवसर पर देवप्रयाग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि भगवान राम के इस दिव्य धाम को दक्षिण भारत में तिरुक्कंडमेनुम कडिनगर के नाम से जाना जाता है और यहां की पवित्र भूमि आशीर्वाद प्रदान करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी साधनाओं का मुख्य विषय जीवन का कल्याण है, जो देवप्रयाग जैसे उपयुक्त स्थानों पर ही संभव हो पाता है। उन्होंने देवप्रयाग की शांति और पवित्रता को बनाए रखने को अत्यंत आवश्यक बताया, ताकि यह धर्म, आस्था और आध्यात्म में विश्वास रखने वालों के लिए एक मुख्य केंद्र बना रहे। विदेशी साधकों के संगम पर पहुंचने पर, तुंणगी गांव की महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस मौके पर पूर्व ग्राम प्रधान अरविंद जियाल, बंटी, तृषा , सोमवती , अंशु, बाला, एन्थनियो, आचार्य स्वरमगला सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

