
बागेश्वर(आरएनएस)। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड की आपदा को अभी तक राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं करने पर चिंता जताई है। उन्होंने मांग की है कि सरकार जल्द ही इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करे, ताकि लोगों को अधिक से अधिक मदद मिल सके। प्रदेश में सरकार जैसी कोई चीज नहीं है। आपदा प्रभावित क्षेत्र में न मंत्री पहुंच रहे न दर्जाधारी। मुख्यमंत्री दो स्थानों पर जरूर गए, लेकिन उसके बाद आपदा प्रभावितों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। पिंडारी मार्ग स्थित एक होटल में बुधवार को पत्रकार वार्ता में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में जब आपदा आई थी तब उन्होंने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी। कार्यकर्ता आपदा पीड़ित व सरकार के बीच एक सेतु की तरह काम कर रही थी। इस आपदा से निपटने के लिए सरकार कहीं नहीं हैं। मुख्यमंत्री के अलावा कोई भी मंत्री मौके पर नहीं जा रहे हैं। बागेश्वर के जिला प्रभारी मंत्री आपदा के सात दिन बाद भी पीड़ितों तक नहीं पहुंचे। दर्जाधारी भी गायब हैं। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री की कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील की है कि उनसे जो भी राहत सामग्री या राशि हो सकती है उसे लेकर प्रभावित क्षेत्र में जाएं और उनका मनोबल बढ़ाएं। उन्होंने सरकार ने ग्राम प्रहररियों को आपदा बचाव खोज प्रशिक्षण देकर जिम्मेदारी सौंपने को कहा, ताकि आपदा के समय वह गांव में लोगों की मदद कर सकें। धराली, थराली में प्रशासन भी आपदा पीड़ितों के साथ नहीं है। सिर्फ एसडीएम के भरोसे उन्हें छोड़ दिया है। जो निर्णय तक नहीं ले पा रहे हैं। प्रदेश सरकार में सभी मंत्री कुर्सी बचाने के चक्कर में लगे हैं। इस मौके पर पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, हरीश ऐठानी, सुनील भंडारी आदि मौजूद रहे।




