
हल्द्वानी (आरएनएस)। उत्तराखंड के जंगलों में इस वर्ष वनाग्नि की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, जिसका श्रेय मुख्य रूप से समय-समय पर हुई बारिश और अनुकूल मौसम को जाता है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2023 से 18 अप्रैल 2024 तक राज्य में वनाग्नि की 341 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिनमें 387.08 हेक्टेयर जंगल जल गया और लगभग 8.71 लाख रुपये का नुकसान हुआ था। वहीं, इस वर्ष 1 नवंबर 2024 से 19 अप्रैल 2025 तक केवल 93 घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें 108 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ और नुकसान घटकर करीब 1.89 लाख रुपये तक सीमित रह गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च और अप्रैल में हुई बारिश ने जंगलों में नमी बनाए रखी, जिससे आग लगने की घटनाओं में काफी हद तक कमी आई है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल माह में राज्य में औसतन 27 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। उदाहरणस्वरूप, बागेश्वर में सामान्यत: जहां 18.4 मिमी बारिश होती है, वहां इस बार 51.3 मिमी बारिश हुई है, जबकि अल्मोड़ा में 35.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
वन विभाग के अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि मौसम की अनुकूलता ने इस बार आग की रोकथाम में बड़ी भूमिका निभाई है। विभाग ने संभावित गर्मी के मौसम को देखते हुए पहले ही सभी जरूरी तैयारियां कर ली हैं और संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
इधर, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि वनाग्नि की रोकथाम और नियंत्रण के लिए ब्लॉक स्तर पर इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (आईआरएस) टीमों का गठन किया जाए। साथ ही, जंगलों के आसपास खेतों में आग लगाने जैसी गतिविधियों पर सख्त रोक लगाने को कहा गया है। पत्र में यह भी उल्लेख है कि आगजनी की घटनाओं को अंजाम देने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना जताई है, जिससे वनाग्नि की घटनाओं में और कमी की उम्मीद की जा रही है। हालांकि मई के बाद बढ़ती गर्मी के साथ आग की घटनाएं बढ़ सकती हैं, जिसे देखते हुए वन विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।





