
देहरादून। प्रदेश में नए साल में महिला सुरक्षा को लेकर शासन और अधिक गंभीर हुआ है। अब वन स्टाप सेंटर में पंजीकृत केसों पर पूरी नजर रखी जाएगी। यह देखा जाएगा कि इन सेंटरों में पंजीकृत मामलों में से कितनों पर चार्जशीट दाखिल हुई और कितनों को सजा हुई। इसमें मामलों की पैरवी पर भी पूरा फोकस किया जाएगा। उत्तराखंड महिलाओं के लिए खासा सुरक्षित प्रदेश है। बावजूद इसके बीते वर्षों में कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं जिससे महिला सुरक्षा की दिशा में तेजी से कदम बढ़े हैं। इन्हीं में से एक है वन स्टॉप सेंटर यानी सखी। यहां हिंसा एवं उत्पीडऩ झेल रही महिलाओं को मदद दी जाती है। इसके तहत पीडि़त महिला टोल फ्री नंबर 181 पर डायल कर अपनी समस्या बताती हैं। वन स्टॉप सेंटर के जरिये न केवल कुछ दिनों तक रहने, खाने व स्वास्थ्य के लिए सुविधाएं दी जाती हैं, बल्कि कानूनी मदद भी दी जाती है। पांच दिन बाद उन्हें नारी निकेतन अथवा महिला छात्रावास भेजा जाता है। प्रदेश के हर जिले में ये सेंटर खोले गए हैं और यह योजना काफी सफल भी रही है। इस योजना का दायरा बढ़ाया गया है। इसके तहत वन स्टॉप सेंटर के जरिये आपात स्थिति में महिलाओं को चौबीस घंटे वाहन भी उपलब्ध कराए गए। इसकी शुरुआत फिलहाल देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल से हुई है। अब इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना है। इसके साथ ही अब पैनिक बटन को भी सक्रिय किया जा रहा है। इसके लिए परिवहन मुख्यालय में कंट्रोल रूम बन चुका है। अब ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है जिससे इसकी सूचना तुरंत पुलिस तक पहुंच सके और पुलिस इसमें तत्काल मदद उपलब्ध करा सके। हाल ही में मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में हुई महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में इस पर गंभीरता से चर्चा की गई। मुख्य सचिव ने इस दौरान वन स्टाप सेंटर को और अधिक सक्रिय करने के निर्देश दिए और पंजीकृत मामलों में चार्जशीट दाखिल करने समेत अन्य सभी पहलुओं की लगातार निगरानी करने के भी निर्देश दिए।





