बैंक की धन वसूली निरस्त करने के आदेश
हरिद्वार। जिला उपभोक्ता आयोग ने स्थानीय प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक समेत तीन अधिकारियों को उपभोक्ता सेवा में कमी और लापरवाही बरतने का दोषी ठहराया है। आयोग ने लोन धनराशि 84,092 रुपये निरस्त करते हुए क्षतिपूर्ति और शिकायतकर्ता को खर्च के रूप में पांच हजार रुपये अदा करने के आदेश दिए हैं। शिकायतकर्ता राशिद पुत्र नूरहसन निवासी ग्राम शिवदासपुर तेलीवाला धनौरी हरिद्वार ने स्थानीय शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पिरान कलियर, एजीएम शाखा रानीपुर व डीजीएम, रीजनल कार्यालय देहरादून के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। बताया था कि कभी भी उसे लोन की आवश्यकता नहीं पड़ी। न ही शिकायतकर्ता ने कभी लोन लिया है। बताया था कि स्थानीय बैंक का एक प्रतिनिधि गांव में आकर उसे बैंक ले गया था। प्रतिनिधि के कहने पर बैंक प्रबंधक ने उसके कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए थे। बैंक प्रबंधक ने शिकायतकर्ता को फिर बाद में आने के लिए कहा था। इसके बाद भी स्थानीय बैंक प्रबंधक और उसके अधिकारियों ने उसके खिलाफ तहसील के माध्यम से 84,092 रुपये की वसूली जारी करने के आदेश दे दिए थे। आरसी की सूचना मिलते ही शिकायतकर्ता स्थानीय बैंक में गया था। जहां शिकायतकर्ता को मालूम हुआ था कि बैंक प्रबंधक ने कई लोगों के नाम से छलपूर्वक व फर्जी तरीके से लोन देकर पैसे निकाल लिए है। बैंक प्रबंधक पर स्थानीय पुलिस में केस दर्ज कराने की जानकारी भी दी थी। शिकायतकर्ता ने बैंक से उक्त धन वसूली को गलत बताते हुए रोकने की मांग की थी। जिसपर बैंक प्रबंधन ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया था। थक हारकर आयोग की शरण ली थी। शिकायत की सुनवाई करने के बाद आयोग अध्यक्ष कंवर सैन व सदस्यगण ने स्थानीय बैंक प्रबंधक समेत तीनों अधिकारियों को उपभोक्ता सेवा में कमी व लापरवाही बरतने का दोषी पाया है।