भारतीय रेल संघर्ष मोर्चा ने किया केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
ऋषिकेश(आरएनएस)। भारतीय रेल संघर्ष मोर्चा ने बुधवार को केंद्र सरकार के खिलाफ ऋषिकेश में जमकर प्रदर्शन किया। सदस्यों ने धरना देकर रेलवे के निजीकरण सहित अन्य मुद्दों को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भी भेजा जिसमें रेलवे के निजीकरण को रद्द करने, रेल टिकट में बुजुर्गों को रियायत देने सहित अन्य मांगें की हैं।
बुधवार को भारतीय किसान मजदूर यूनियन के सहयोगी संगठन भारतीय रेल संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने ऋषिकेश के पुराने रेलवे स्टेशन पर धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने स्टेशन प्रबंधक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि सरकार का काम जनता से टैक्स लेकर सुविधानुसार उसे सेवाएं उपलब्ध कराना है। हमारी भारतीय रेल आजादी के बाद से ही आम जन आवागमन का न केवल साधन है, वरन अधिसंख्य लोगों का रोजी रोटी का जरिया भी है। आरोप लगाया कि एक साजिश के तहत कोरोना के नाम पर भारतीय रेल को घाटे में लाकर अपने गुजराती पूंजीपति मित्रों अंबानी अडानी को बेचने का केंद्र सरकार द्वारा जो प्रयास किया जा रहा है, वह निंदनीय है। भारतीय रेल भारत की जनता की है और जनता की ही रहना चाहिये। उन्होंने रेल का निजीकरण रदद करने, सरकारी सम्पत्तियों को बेचने का फैसला स्थगित करने, सभी पैसेंजर गाड़ियों को जल्द चलाने, मेल एक्सप्रेस की गाड़ियों को पुनः पैसेंजर बनाकर पूर्ववत किराया लेने, सभी मेल एक्सप्रेस ट्रेनो में सामान्य, महिला, विकलांग बोगी लगाने, महिला, वृद्ध, दिव्यांगों को रियायती यात्रा सुविधा प्रदान करने, सभी ट्रेनो के जनरल टिकट रेलवे बुकिंग काउटर से बिक्री करने, हर रेलवे स्टेशन के सामने सर्वसुविधायुक्त विश्रामालय का निर्माण करने, रैन बसेरा बनाने, पानी, शौचालय और यात्रियों को भोजन बनाने के लिये किचन शेड बनाए जाने, सभी तीर्थस्थलों में यात्रियों की सुविधा के अनुसार व्यवस्थायें सुनिश्चित करने आदि की मांग की। उन्होंने कहा कि पैसेंजर गाड़ियों के नहीं चलने से किसानो की रोजी-रोटी की समसया विकराल हो रही है। यदि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो डीआरएम कार्यालय में तालाबंदी की जाएगी। प्रदर्शन करने वालों में श्रीकांत द्विवेदी, दयाराम चौधरी, चौरसिया चौधरी, मोहनी देवी, रमा सिंह चौहान, सतुलिया बाई, श्यामवती, शकुंतला, चरकी बाई, रामनाथ चौधरी, स्वामी दीन शाह, श्यामकुमार आदि शामिल रहे।