दिवाली पर पटाखों ने वातावरण में जहर ही नहीं घोला, इस बार घायल होकर 241 पहुंचे अस्पताल

 नई दिल्ली। इस दिवाली पर पटाखों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की फिजा में ही जहर घोलने का काम नहीं किया। दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बाद भी दिवाली पर जमकर आतिशबाजी हुई। पटाखों के कारण कई लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया। दिल्ली के बड़े अस्पतालों के बर्न विभाग और आंखों के अस्पताल में इलाज के लिए दीपावली के पास दो दिन कुल 241 लोग पटाखों और दीयों से घायल होकर उपचार के लिए पहुंचे। यह संख्या पिछले साल पटाखों और दीयों से जलने के मरीजों से भीअधिक है। पिछले साल दिवाली पर कुल 216 लोग जलने के बाद इलाज के लिए अस्पताल आए थे।

एम्स आंखों के चोट के साथ 42 लोग पहुंचे इमरजेंसी
एम्स के आंखों के अस्पताल की इमरजेंसी में कुल 42 लोग ऐसे आए जिन्हें आंखों में पटाखे की वजह से चोट लगने के कारण नेत्र अस्पताल जाना पड़ा। एम्स के बर्न विभाग में बड़ी और छोटी दिवाली पर मिलाकर कुल 31 लोग जलने की वजह से अस्पताल पहुंचे थे। इनमें 8 लोग दीयों की वजह से , 21 पटाखों की वजह से और दो दिवाली पर सजावट के दौरान बिजली का झटका लगने के बाद अस्पताल आए।

आरएमएल में कुल 37 मरीज पहुंचे, तीन भर्ती
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बर्न विभाग के प्रमुख समीक भट्टाचार्य ने बताया कि दिवाली की रात 30 मरीज अस्पताल पहुंचे थे।इससे एक दिन पहले छोटी दिवाली पर कुल सात लोग दिवाली से जुड़े जले मामलों की वजह से अस्पताल आए। तीन मरीज अभी अस्पताल में भर्ती हैं, दिवाली पर पटाखों के ब्लास्ट को वजह से इनके हाथ में गंभीर चोट आई है।

जीटीबी में चार गंभीर
गुरु तेग बहादुर अस्पताल में कुल 24 मरीज आए। इनमें से चार मरीज गंभीर थे, जबकि 20 कम जले हुए थे। वहीं लोकनायक अस्पताल में कुल सात मरीज दिवाली पर जलने की वजह से अस्पताल में इलाज के लिए आए।

सफदरजंग में जलने की घटनाएं ज्यादा
सफदरजंग अस्पताल के बर्न, प्लास्टिक एवं सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. शलभ कुमार ने बताया दिवाली की रात अस्पताल में कुल 89 मरीज दीये और पटाखे से घायल होकर पहुंचे। छोटी दिवाली पर कुल 11 लोग घायल होकर अस्पताल आए थे। यानी दो दिनों में मिलाकर कुल 100 लोग पटाखों और दीयों से जलने के बाद अस्पताल पहुंचे हैं।  इस बार आए मरीजों में से 86 सामान्य रूप से जले थे, जबकि 14 गंभीर रूप से जले थे। डॉक्टर सलभ ने बताया कि पिछले साल दीयों से जलने के मामले अधिक देखे गए थे लेकिन इस बार पटाखों से जलने के मामले अधिक आए हैं। उन्होंने कहा कि हमने 20 मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी है।