50 फीट गहरे बोरवेल में गिरी बच्ची की मौत, 17 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
अहमदाबाद (आरएनएस)। गुजरात के अमरेली जिला के सुरगापारा गांव में 45-50 फीट गहरे बोरवेल में गिरी एक मामूम बच्ची की मौत हो गई. बच्ची को बचाने के लिए 16-17 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. लेकिन शनिवार सुबह बच्ची ने को मृत घोषित कर दिया गया. अग्निशमन अधिकारी एचसी गढ़वी ने बताया कि, बच्ची को सुबह 5:10 बजे बोरवेल से बाहर निकाला गया. उसके बाद उसे अमरेली सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया. इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने गुजरात के लोगों से खुले बोरवेल को बंद करने की अपील की.
बच्ची को बोरवेल से जिंदा निकालने के लिए घंटों रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), अमरेली अग्निशमन दल और 108 एम्बुलेंस सेवा के कर्मियों ने संयुक्त रूप से अभियान में लगे रहे. इस रेस्क्यू ऑपरेशन को शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे शुरू किया गया था. जो शनिवार सुबह तक जारी रहा. 16-17 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद भी बच्ची को बचाया नहीं जा सका. बोरवेल से निकालने के बाद बच्ची को तुरंत अमरेली सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय राज्य मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने राज्य के लोगों से खुले बोरवेल के बारे में सरकार को सूचित करने का अनुरोध किया था. पानशेरिया ने कहा, मैं गुजरात में सभी से अनुरोध करता हूं कि यदि आप बोरवेल बंद नहीं कर सकते हैं, तो कृपया हमें सूचित करें. यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो कृपया हमें एक संदेश भेजें या हमें एक पत्र भेजें. मानवता के लिए काम करें. उन्होंने कहा कि, चार महीने पहले द्वारका में भी इसी तरह की घटना हुई थी. उस समय, मैंने शिक्षकों से अपील की और हमने लगभग 35-40 बोरवेल बंद कर दिए. मुख्यमंत्री ने खुले बोरवेल के संबंध में एक पत्र भी जारी किया है.
बता दें कि इसी तरह की एक घटना राजस्थान के अलवर जिले में भी हुई थी, जहां लक्ष्मणगढ़ इलाके के कनवाड़ा गांव में एक पांच साल का बच्चा 40 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था. हालांकि बच्चे को सुरक्षित बचा लिया गया. इससे पहले 14 अप्रैल को मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव में एक छह वर्षीय बच्चा खेत में खुले बोरवेल में गिर गया था. 45 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बच्चे को बाहर निकाल लिया गया. लेकिन उनकी जान नहीं बची.