50 से अधिक ग्लेशियर तेजी से आकार बदल रहे

देहरादून। उत्तराखंड में 50 से अधिक ग्लेशियर तेजी से आकार बदल रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से 2007-08 में कराए गए विशेषज्ञ कमेटी के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला था। राज्य सरकार चारधाम यात्रावधि में सिर्फ गौमुख ग्लेशियर की मॉनिटरिंग करती है, अन्य ग्लेशियर की नहीं। चमोली जिले में रैणी गांव के समीप ग्लेशियर फटने से तबाही की आशंका से सहमे ग्रामीणों ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
गौमुख ग्लेशियर में झील बनने का मामला केदारनाथ आपदा के बाद 2014 में दिल्ली के अजय गौतम की जनहित याचिका के माध्यम से नैनीताल हाईकोर्ट के समक्ष आया था। इस याचिका में बताया गया है कि उत्तराखंड में ढाई हजार के आसपास ग्लेशियर हैं। 2013 में चौराबाड़ी ग्लेशियर फटने से ही केदारनाथ आपदा आई और बड़े पैमाने पर जनधन की हानि हुई। याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कराये अध्ययन में पाया गया है कि 50 से अधिक ग्लेशियर तेजी से आकार बदल रहे हैं,मगर इसके बाद भी सरकार द्वारा कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार व सरकारी तंत्र नहीं जागा तो यह स्थिति और खराब होगी।
चमोली जिले में जो ग्लेशियर फटा है, वह चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी का गांव हैं। रैणी गांव के समीप ही ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। इसी गांव के समीप ही विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी है। रैणी गांव के कुंदन सिंह व अन्य ने 2019 में जनहित याचिका दायर की थी। इनका कहना था कि गांव इसके आसपास ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के बहाने अवैध खनन हो रहा है। मलबे का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। जिससे हो रहे पर्यावरणीय नुकसान से बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

error: Share this page as it is...!!!!