14 जुलाई को सीएम आवास और राजभवन कूच करेंगे राज्य आंदोलनकारी
देहरादून। राज्य आंदोलनकारियों की पूर्व निर्धारित बैठक में राज्य आंदोलनकरियों से संबंधित विषयों पर गहन विचार के बाद आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनाई गई है। आंदोलनकारी कोटे की नौकरियों पर मंडरा रहे खतरे समेत अन्य मुद्दों को लेकर 14 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के घेराव का निर्णय लिया गया। कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर आज विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े पदाधिकारी व सदस्य मौजूद हुए। राजनैतिक रुप से गर्माए माहौल के बीच राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आंदोलन का बिगुल छेडऩे का निर्णय लिया। मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि राजभवन से पिछले तीन सालों से वार्ता का समय मांगा जा रहा है, न तो उन्हें समय दिया जा रहा न ही ऐक्ट पर हस्ताक्षर किए जा रहे। दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण ऐक्ट आदि मुद्दे पर 14 जुलाई को राजभवन कूच का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। आंदोलनकारी रविन्द्र जुगराण ने कहा कि सरकार को राज्य आंदोलनकारियों की सुध नहीं ले रही। कई युवा उम्रदराज हो गए हैं। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष विरेन्द्र पोखरियाल ने कहा कि आंदोलनकारी शक्तियों को फिर से लामबंद होना पड़ेगा। महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी ने राज्य बनने के 20सालों बाद भी सम्मान के लिए हो रहे संघर्ष को दुर्भाग्य बताया। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आंदोलनकारियों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने की चेतावनी दी। कहा कि नए सीएम को भी अधिक समय नहीं दिया जा सकता चूंकि भाजपा सरकार ने महत्वपूर्ण चार साल यूं ही गवां दिए हैं। संयुक्त संघर्ष समिति अध्यक्ष वेद प्रकाश ने कहा कि राजभवन ने छह सालों से ऐक्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिससे आंदोलनकारी परिवरों की नौकरी पर संकट आ गया है। मौके पर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय अध्यक्ष मनीष कुमार, विशंभर दत्त बौंठियाल, रामलाल खंडूड़ी, अंबुज शर्मा, अरुणा थपलियाल, देवी प्रसाद व्यास, मोहन खत्री, हर्षपति काला, महेन्द्र रावत, सुरेन्द्र कुकरेती, विक्रम भण्डारी, डीएस गुसाईं, ललित जोशी, रुकम पोखरियाल, जयदीप सकलानी, रामपाल, बलबीर नेगी, विनोद असवाल, पूर्ण सिंह राणा, युद्धवीर सिंह चौहान, बृजमोहन जोशी, धर्मपाल रावत, क्रांति कुकरेती, कमल गुसाईं, चन्द्र किरण राणा, अंबुज शर्मा, विरेन्द्र रावत, मोहन खत्री, कपिल डोभाल, गम्भीर मेवाड़, सुमन भण्डारी, लॉक बहादुर थापा, सतेन्द्र भण्डारी, कपिल डोभाल, सुरेश नेगी, गणेश शाह, विकास रावत, लूसून टोडरिया, प्रमोद पंत, राकेश नौटियाल, सुमित थपलियाल, धीरेन्द्र पेटवाल, हरी सिंह, सुरेश कुमार, जगदीश चौहान, सुदेश सिंह, सतेन्द्र नोगाईं, अनुराग भट्ट, राधा तिवारी, सुलोचना भट्ट, सावित्री नेगी, कुसुम ठाकुर, सरोजनी गुनसोला, कौशल्या जोशी, सूर्यकान्त बमराडा, वीरेन्द्र गुसाईं, सरोजनी थपलियाल, विमला पंवार, सतेन्द्र भट्ट आदि ने भी विचार रखे।