11 सितम्बर को लोक अदालत का आयोजन
अल्मोड़ा। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अल्मोड़ा रवि शंकर मिश्रा ने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिये गये निर्देश एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा के मार्गदर्शन में दिनॉंक 11 सितम्बर, 2021 को जनपद न्यायालय अल्मोड़ा एवं समस्त वाह्य न्यायालयों (रानीखेत/द्वाराहाट/भिकियासैंण) में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों के निस्तारण हेतु आवश्यक नहीं है कि मामले न्यायालय में लम्बित ही हों। लोक अदालत के माध्यम से उन मामलों का भी निस्तारण हो सकता है जो अभी न्यायालय में लम्बित नहीं है, ऐसे मामलों को प्री-लिटिगेशन मामले कहते हैं। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से प्री-लिटिगेशन मामलों से सम्बन्धित (एन0आई0 एक्ट अन्तर्गत धारा-138, धन वसूली, वाद, श्रम विवाद वाद, बिजली एवं पानी बिलों से सम्बन्धित वाद, भरण पोषण वाद एवं आपराधिक शमनीय वाद व अन्य सिविल वाद) एवं लम्बित वादों से सम्बन्धित (क्रिमिनल कम्पाउण्डेबल वाद, एनआई एक्ट अन्तर्गत धारा-138, धन वसूली वाद, एम0ए0सी0टी0 वाद, श्रम विवाद वाद बिजली एवं पानी बिल उन मामलों को छोड़कर जो शमनीय नहीं है, वैवाहिक वाद(तलाक सम्बन्धी वाद छोड़कर), भूमि आध्याप्ति वाद, सर्विस मामले (भुगतान, एलाउन्स, रिटायरमेन्ट लाभ), रिवेन्यू वाद (जिला न्यायालय में लम्बित) एवं अन्य सिविल वादों का निस्तारण किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों का निस्तारण सुलह समझौते के आधार पर होता है और किसी भी पक्ष को ना तो सजा होती है और ना ही कोई पक्ष जीतता है। लोक अदालत में दोनों पक्ष आपसी समझौते के आधार पर अपना निस्तारण करा सकते है। लोक अदालत में जिन मामलों का निस्तारण होता है और सुलह समझौते के आधार पर लोक अदालत द्वारा जो निर्णय/पंचाट पारित किया जाता है वह दोनों पक्षों पर बाध्यकारी होता है। पंचाट का प्रभाव वही होता है जो सिविल न्यायालय द्वारा पारित डिक्री का होता है। यदि कोई पक्षकार उक्त निर्णय/पंचाट को नहीं मानता है तो दूसरा पक्षकार सविल न्यायालय उक्त पंचाट को लागू कराने के लिए उस व्यक्ति के विरूद्व मामला ला सकता है। लोक अदालत में जो पंचाट पारित किया जाता है वह अन्तिम होता है और उस पंचाट के विरूद्व किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि यदि किसी मामले में न्यायालय शुल्क अदा कर दिया गया है और उस मामले का निस्तारण लोक अदालत में होता है तो उक्त अदा किया गया न्याय शुल्क अदा करने वाले पक्षकार को वापस कर दिया जाता है। लोक अदालत में मामलों का निस्तारण शीघ्रता से होता है और मामले के निस्तारण होने वाला खर्च कम हो जाता है। उन्होंने सभी सामान्य जनता से अनुरोध किया है कि उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत दिनॉंक 11 सितम्बर, 2021 में अधिक से अधिक मामलों को संदर्भित करायें और राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से अधिक से अधिक वादों का निस्तारण करायें।