11 लाख की धोखाधड़ी के मामले में अभियुक्तों की जमानत न्यायालय ने की नामंजूर

अल्मोड़ा। धोखाधड़ी के एक मामले में सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान के न्यायालय में अभियुक्त मो0 आरिफ निवासी अतरासी कलां जिला अमरोहा उत्तर प्रदेश तथा धीरज कुमार निवासी ग्राम अहरौला तेजवन जिला अमरोहा उत्तर प्रदेश द्वारा द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपनी जमानत हेतु जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत की गयी। जिस पर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा, द्वारा अभियुक्त की जमानत का विरोध करते हुए न्यायालय को यह बताया कि वादी मुकदमा रमेश चन्द्र पुत्र स्व0 शिव दत्त निवासी च्याली पो0 छानागोलू जिला अल्मोड़ा दिनांक 28-01-2022 को भारतीय स्टेट बैंक रानीखेत से अपने खाते से पैसे निकालने हेतु उसके द्वारा विद्ड्राल फार्म भरकर दिया तो बैंक के कर्मचारियों ने बताया कि आपके खाते में कोई भी धनराशि/पैसे नहीं बचे हैं। उक्त सूचना पर वादी मुकदमा द्वारा दिनांक 16-02-2022 को थाना द्वाराहाट जिला अल्मोड़ा में एक तहरीर इस आशय से दी कि उसके भारतीय स्टेट बैंक रानीखेत के चालू खाते से 11,18000/(ग्यारह लाख अठ्ठारह हजार रू०) निकाले गये हैं। उक्त तहरीर के आधार पर पुलिस विवेचना में यह बात प्रकाश में आयी है कि वादी के वोडाफोन के सिम को दिनांक 06-01-2022 को अभियुक्त द्वारा क्लोन कर लिया गया। वोडाफोन ग्लोबल इन्टरप्राईजेज में अभियुक्त विशेष शर्मा (POS) के पद पर नौकरी करता है भी इस मामले में शामिल होना पाया गया है। अभियुक्त विशेष शर्मा द्वारा वादी मुकदमा के मूल आधार कार्ड पर अन्य अभियुक्त की फोटो लगाकर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर मोबाइल के सिम को क्लोन कर लिया गया। वोडाफोन ग्लोबल इन्टरप्राईजेज के कर्मचारी विशेष शर्मा(POS) के पद पर कार्यरत था को आधार कार्ड व उस पर लगी, फोटो को सही रूप से तस्दीक करना चाहिये था जो उसके द्वारा नहीं किया गया। अभियुक्त मोo आरिफ सैफी द्वारा वादी रमेश चन्द्र के खाते से उसके सिम को क्लोन कर साईबर धोखाधड़ी के माध्यम से 2,75,000/ (दो लाख पिछत्तर हजार) रू० निकाल लिये गये। इसके अलावा छह लाख पचास हजार की धनराशि अभियुक्त धीरज कुमार के खाते में ट्रांसफर किये गए हैं। खाते से निकासी की जानकारी वादी को नहीं हो पायी क्योंकि वादी का सिम जो कि भारतीय स्टेट बैंक में रजिस्टर्ड है, को क्लोन कर लिया गया था, और बैंक से निर्गत सभी मैसेज अभियुक्त द्वारा क्लोन किये गये सिम पर आते रहे। पुलिस द्वारा अभियुक्त मो0 आरिफ सैफी और धीरज कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। अभियुक्तों द्वारा साईबर फ्रॉड/कूटरचित दस्तावेज तैयार कर वादी मुकदमा को काफी धन का नुकसान कारित कर आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया गया है। यदि अभियुक्तों को जमानत पर रिहा किया जाता है तो अभियुक्त के द्वारा अपराध की पुनः पुनरावृत्ति किये जाने, फरार होने, जमानत की शर्तों का उल्लघंन करते हुए व अन्य को प्रभावित किये जाने की पूर्ण सम्भावना है। जिस पर न्यायालय द्वारा पत्रावली का परिशीलन कर अभियुक्तों के जमानत प्रार्थना पत्र 21 अप्रैल, शुक्रवार को खारिज की गई।


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