दस प्रजातियों के प्रवासी पक्षी पहुंचे हरिद्वार

 हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि के अन्तर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया कि शिशिर ऋतु में न जाने कितने हजार सालों से उत्तरी गोलार्ध के शीत प्रदेशों से लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी भारतीय उप महाद्वीप में आते रहे हैं। प्रोफेसर दिनेश भट्ट की टीम के सदस्य आशीष आर्य ने बताया कि लगभग 10 प्रजाति के जलीय पक्षी हरिद्वार पहुंच चुके हैं। जिसमें सुर्खाब के सैकड़ों जोड़े, रीवर लैपविंग, कामन टील, पलास गल, ब्लैक वग्डिं स्टल्टि, कॉमन पोचार्ड, रीवर टर्न, नार्दन पिनटेल, नार्दन सोवलर, कौम्बडक, पनकौवा इत्यादि। हिमालयी क्षेत्र से आने वाले वनीय पक्षियों में खंजन, फैनटेल फ्लाईकेचर, ब्लैक बर्ड, वारवलर इत्यादि हैं। शोध छात्रा पारुल ने बताया कि न केवल भारतीय उपमहाद्वीप बल्कि अनेक क्षेत्रों में पक्षियों में शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन माइग्रेशन होता है।
उत्तराखण्ड संस्कृत विवि के पक्षी वैज्ञानिक विनय सेठी के अनुसार प्रवासी पक्षी सुर्खाब आजीवन जोड़ा बनाकर रहते हैं और प्रवास गमन की यात्रा रात में करते हैं। प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया कि इस वर्ष पलास गल नामक पक्षी 15-20 दिन देर से पहुंचा है। यह पक्षी रूस, चीन, यूक्रेन से उड़ान भरते हैं। देर से आने के कारणों में रूस- यूक्रेन युद्ध मुख्य कारण हो सकता है।


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