देहरादून स्मार्ट सिटी में जो काम हुए हैं, वह डीपीआर के आधार पर नहीं किए गए: विनोद चमोली

देहरादून(आरएनएस)।   स्मार्ट सिटी के काम उत्तराखंड सरकार के लिए सिर दर्द बनते जा रहे हैं।  विकास कार्यों की सुस्त गति जनता के लिए भी परेशानी का सबब रही है।  इन हालातों के बीच भाजपा के धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली ने ऐसा बड़ा खुलासा कर दिया है, जो पूरे प्रोजेक्ट पर ही सवाल खड़े कर रहा है।  दरअसल भाजपा विधायक विनोद चमोली ने सीधे तौर पर कह दिया है कि देहरादून स्मार्ट सिटी में जो काम हुए हैं, वह डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर नहीं किए गए।

शहरी विकास मंत्री ने सदन में नहीं उठने दिया मामला
देहरादून शहर की सूरत को बदलने के लिए डीपीआर में जिन बातों का जिक्र किया गया था, उनको प्रोजेक्ट बनाने के दौरान काम के लिहाज से अमल में लाया ही नहीं गया।  सबसे बड़ी बात यह है कि विधायक ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए विधानसभा में भी विषय को उठाने की कोशिश की, लेकिन विभागीय मंत्री ने उन्हें सदन में ऐसा करने से रोक दिया, जिसके कारण वह इस मामले को सदन में नहीं उठा पाए।

डीपीआर के मुताबिक काम ना होना अनियमितता
किसी भी परियोजना की पहले डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाती है और फिर इसी के लिहाज से पूरी परियोजना में काम किए जाते हैं, लेकिन अगर डीपीआर तैयार करने के बाद उस पर काम नहीं हो रहा है, तो यह अनियमितता के दायरे में आता है। इसके लिए सक्षम स्तर पर डीपीआर में बदलाव होना जरूरी होता है, लेकिन यदि ऐसा किए बिना डीपीआर के उलट प्रोजेक्ट में काम किए गए हैं, तो यह गंभीर गड़बड़ी को उजागर करते हैं। हालांकि इस मामले में विनोद चमोली ने अधिकारियों को आड़े हाथ लेने की कोशिश की है, लेकिन इसकी सीधी जिम्मेदारी विभाग के मंत्री और सरकार की भी है।

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने विनोद चमोली को बधाई
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि वह भाजपा विधायक को उनके साहस के लिए बधाई देती हैं, लेकिन अगर वह यह बात प्रोजेक्ट की शुरुआती चरण में बता देते, तो राज्य को इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।  उन्होंने कहा कि यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है और अगर इसमें इस तरह की गड़बड़ी हुई है, तो उसकी जांच होना भी बेहद जरूरी है।  इसके अलावा उन्होंने कहा कि इसमें अधिकारियों, विभागीय मंत्री और सरकार की भी जिम्मेदारी है, क्योंकि परियोजना को ठीक से अमलीजामा पहनाने के लिए इन सब को पहले ही पूरी निगरानी के साथ अधिकारियों से काम कराना चाहिए था।

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