वेतन-महंगाई भत्ते को लेकर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बड़ा झटका

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। इन्हें नियमित कर्मचारियों के समान वेतन नहीं मिलेगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक नवंबर से इन्हें महंगाई भत्ते का लाभ देने से इनकार कर दिया है।  अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद ने यह आदेश किए हैं। दरअसल, विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी समान काम के बदले समान वेतन देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। सरकार का मानना है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरी तरह से प्रतिबंध है।
फरवरी, 2003 में जारी शासनादेश के मुताबिक संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक, दैनिक वेतन, तदर्थ और बाह्य स्रोत से किए जाने वाली नियुक्तियों पर रोक के भी निर्देश जारी हुए थे। ऐसे में दैनिक वेतन कर्मचारी को समान प्रकृति का कार्य करने पर नियमित के समान वेतन पाने का हक नहीं है।
आदेश में कहा गया है कि रोक के बावजूद विभिन्न विभाग अपने स्तर से दैनिक श्रमिकों की नियुक्तियां कर मनमाने तरीके से उन्हें मानदेय दे रहे हैं। दैनिक श्रमिकों को सिद्धांत रूप में अल्पकाल के लिए प्रति दिन के आधार पर उनके द्वारा किए गए कुल दिवसों के आधार पर मानदेय दिया जाना चाहिए, परंतु कुछ मामलों में उन्हें लंबे समय तक कार्य योजित कर मासिक आधार पर भुगतान किया जा रहा है।  सरकार ने कहा कि कुछ विभागों ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते तक का लाभ दिया है। वन विभाग में ऐसे 611 श्रमिकों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को देय न्यूनतम वेतनमान के साथ महंगाई भत्ते तक का भुगतान किया गया। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि एक नवंबर, 23 से किसी भी सूरत में ऐसे कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का लाभ नहीं दिया जाएगा। सरकार की ओर से इस बारे में आदेश किया गया है।

सरकार ने वित्तीय स्थिति का दिया हवाला
सरकार ने दैनिक श्रमिकों को नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के समान लिए निर्धारित न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ते का लाभ देने को वित्तीय नियमों में दी गई व्यवस्था के विपरीत माना है। न्यायालय की तरफ से दिए गए निर्णयों के क्रम में महंगाई भत्ता कुछ कर्मचारियों को दिए जाने की स्थिति में अन्य कर्मचारियों की तरफ से भी मांग की जा रही है।  चूंकि राज्य के सीमित वित्तीय संसाधन हैं, ऐसे में राज्य में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से नियत वेतन, मानदेय पर तैनाती की जाती है। नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, दैनिक वेतनभोगी श्रमिक की प्रकृति अलग-अलग होने से एक समान लाभ दिया जाना उचित नहीं है।