वनों द्वारा कार्बन अवशोषण पर दो दिवसीय कार्यशाला

अल्मोड़ा। वसुंधरा पर्यावरण संरक्षण एवं जनकल्याण समिति के तत्वावधान में धानाचूली स्थित जन मिलन केंद्र में वनों द्वारा कार्बन अवशोषण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। उद्घाटन भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय राज रावत ने किया। उन्होंने कहा कि पंचायती वन कार्बन डाई-ऑक्साइड अवशोषित कर वायुमंडलीय तापमान में कमी ला रहे हैं तथा माइक्रोप्लान में कार्बन क्रेडिट को शामिल करने की जरूरत है। मुख्य अन्वेषक डॉ. गिरीश नेगी ने बताया कि राज्य की 11,217 वन पंचायतें 4500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हैं और इनके वृक्ष प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष लगभग 40 टन कार्बन डाई-ऑक्साइड अवशोषित करते हैं। संचित कार्बन की अनुमानित बाजार कीमत लगभग पांच लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है। परियोजना समन्वयक डॉ. प्रदीप सिंह मेहता ने कार्बन आकलन हेतु तैयार कार्यपुस्तिका का परिचय दिया। कार्यशाला में 60 से अधिक प्रतिभागियों ने बाँज वन पंचायत में व्यावहारिक प्रशिक्षण लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नारायण सिंह ने किया और समापन ग्राम प्रधान धानाचूली के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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