उत्तराखंड रोडवेज में 24 साल बाद पक्के होंगे संविदा ड्राइवर-कंडक्टर!?

देहरादून। रोडवेज में दशकों से सेवाएं दे रहे संविदा ड्राइवर-कंडक्टरों को परमानेंट होने की उम्मीद जगी है। देहरादून मंडल डिपो से सभी संविदा ड्राइवर-कंडक्टरों का ब्यौरा मुख्यालय को पहुंच गया है। इसमें पांच ड्राइवर-कंडक्टर ऐसे हैं, जिनकी सेवा को 20 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी तक नियमित नहीं हो पाए थे।
रोडवेज में तीन हजार से ज्यादा ड्राइवर-कंडक्टर कार्यरत हैं। इसमें नियमित के साथ ही विशेष श्रेणी, संविदा और आउटसोर्स के हैं। इसमें कुछ ड्राइवर-कंडक्टर ऐसे हैं, जो सालों से रोडवेज को सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अभी तक उनका नियमितिकरण नहीं हो पाया। संविदा और विशेष ड्राइवर-कंडक्टरों को नियमित करने की मांग लंबे समय चल रही हैं। कर्मचारी यूनियनें इसको लेकर न्यायालय तक पहुंची है, लेकिन अभी तक नियमितिकरण नहीं हो पाया। इसी सप्ताह रोडवेज ने सभी डिपो से संविदा ड्राइवर-कंडक्टरों का ब्यौरा मांगा। इसमें दो प्रारूप भेजे गए थे। एक में दस साल या इससे अधिक साल से सेवारत और दूसरे में दस साल से कम समय से सेवारत ड्राइवर-कंडक्टरों को ब्यौरा मांगा गया। देहरादून मंडल ने ब्यौरा मुख्यालय को भेज दिया है। मंडल के सभी डिपो में 228 संविदा ड्राइवर-कंडक्टर कार्यरत हैं। इसमें पांच लोग ऐसे हैं, जिनकी सेवा को बीस साल से ज्यादा हो गया है। ग्रामीण डिपो में तैनात आदेश कुमार ने बताया कि 1999 में रोडवेज में भर्ती हुए। तब तीस पैसा प्रति किमी मिलता था, महीने का 1500 रुपये तक वेतन बनता था। अब 15 हजार रुपये तक वेतन मिल रहा है, लेकिन महंगाई के इस युग में बहुत कम है। बताया कि कई बार नियमितिरकण की मांग उठाई गई, लेकिन अभी तक नियमितिकरण नहीं हो पाया। अब प्रबंधन ने फिर से डाटा मांगा, उम्मीद है इस बार नियमितिकरण हो जाएगा। महाप्रबंधक (कार्मिक) रोडवेज आरपी भारती का कहना है कि विधानसभा में दस साल या उससे अधिक समय से कार्यरत कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर सवाल उठा था। भविष्य में यदि सरकार संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर नीति बनाती है तो उसके लिए डाटा जुटाया जा रहा है। इससे हमें यह पता चल जाएगा कि हमारे पास कितने ड्राइवर-कंडक्टर दस साल से अधिक और कितने दस साल से कम समय से कार्यरत है।

Powered by myUpchar

error: Share this page as it is...!!!!
Exit mobile version