उत्तराखंड में प्री-मानसून ने कहर बरपा दिया

देहरादून। बुधवार रात और गुरुवार की सुबह उत्तराखंड में प्री-मानसून ने कहर बरपा दिया है। राज्य के कुमाऊं मंडल में बरसाती नाले ऊफान पर हैं। भूस्खलन की वजह से कई हाईवे बंद हो गए हैं। राजधानी देहरादून में बुधवार देर रात भारी बारिश हुई। जिससे रायपुर के आगे मालदेवता में सडक़ पर भारी मलबा आ गया। यहां कई घरों में मलबा घुस गया है।

मालदेवता में किसी नुकसान की सूचना नहीं है। फिलहाल गुरुवार को दून में बारिश रुकी हुई है और बादल छाए हुए हैं। इसी तरह कुमाऊं और गढ़वाल के लगभग सभी इलाकों में कहीं बूंदाबांदी हो रही है तो कहीं बादल छाए हुए हैं। हरिद्वार में भी बादल छाए हुए हैं। यहां लोग उमस से परेशान हैं।

चंपावत जिले में बारिश से बोल्डर व मलबा आने से पूर्णागिरी मार्ग बंद हो गया है। हाईवे बंद होने से ककराली गेट बैरियर में वाहन की कतार लग गई है। वहीं टनकपुर के चुका क्षेत्र में पोथ ग्राम पंचायत के लडिय़ालसेरा में बरसाती नाला ऊफान पर आ गया। जिससे खेत और फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कई घरों में मलबा घुस गया है। स्वालां और भारतोली के पास बारिश से मलबा आने से टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे सुबह से बंद हो गया है।

प्रचंड गर्मी के बीच फिर शुरू हुईं वनाग्नि की घटनाएं
एक बार फिर गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है। इससे वनाग्नि की घटनाएं बढऩे लगी हैं। चालू जून माह में बुधवार को गढ़वाल क्षेत्र में पहली वनाग्नि की घटना रिपोर्ट की गई है। जबकि एक जून से नौ जून तक कुमाऊं परिक्षेत्र में वनाग्नि की चार घटनाएं घटित हो चुकी हैं। इस तरह वनाग्नि की पांच घटनाओं में अब तक इस माह कुल 3.25 हेक्टयर वन संपदा नष्ट हो चुकी है।
जून माह वनाग्नि की घटनाओं के लिए बेहद संवेदनशील माना जाता है। लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के बाद काफी हद तक वनों में आग लगने की घटनाओं पर विराम लगा हुआ था। लेकिन एक बार फिर से मौसम में आई गर्मी के बाद वनाग्नि की घटनाएं बढऩे लगी हैं। एक जून से 9 जून तक प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं वन परिक्षेत्र में वनाग्नि की कुल पांच घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं।
इनमें एक घटना गढ़वाल परिक्षेत्र में घटित हुई, जिसमें 0.5 हेक्टेयर सिविल वन जला है। वहीं कुमाऊं में घटित वनाग्नि की चार घटनाओं में 2.5 हेक्टयर आरक्षित वन क्षेत्र और 0.75 हेक्टयर सिविल वन क्षेत्र जला है। वनों में आग लगने की घटनाओं के यह आंकड़े मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन की ओर से जारी किए गए हैं।


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