उत्‍तराखण्‍ड माने बाप का राज्‍य: छह माह से सोया है विभाग, एनपीआर कैमरों का पता ही नहीं

देहरादून। परिवहन विभाग ने हाईटेक फैसला तो लिया लेकिन छह माह में भी उसे लागू नहीं कर पाया। हालात यह हैं कि परिवहन के सभी चेकपोस्ट बंद हैं। प्रवर्तन सिपाही सड़कों पर हैं। एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) और आईपी इनबिल्ड कैमरों का पता नहीं है।

कितने वाहन टैक्स चोरी कर उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं, कितनों ने टैक्स जमा कराया है, इसका कोई खास पता लगाना भी संभव नहीं हो पा रहा है। अभी तक परिवहन विभाग के सभी चेकपोस्ट पर विभाग के सिपाही वाहनों की जांच करते थे। वाहनों के टैक्स से लेकर सभी तरह के बिलों की भी जांच वही करते थे। नवंबर में परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा ने एक आदेश जारी करते हुए चेकपोस्ट की जगह एएनपीआर कैमरे और आईपी इनबिल्ड कैमरे लगाने का आदेश किया था।

एक दिसंबर से सभी चेकपोस्ट बंद भी कर दिए थे। छह माह बीत गए। चेकपोस्ट पर तैनात कर्मचारी अब सड़क पर हैं। संसाधनों के अभाव में प्रवर्तन का काम भी नहीं कर पा रहे हैं। छह महीने बाद भी कैमरे लगाने पर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है। कितने वाहन आ रहे हैं, कितनों ने टैक्स जमा कराया है, इसकी जांच भी पूरी नहीं हो पा रही है।

ये चेक पोस्ट थे संचालित
परिवहन विभाग की आरे से कुल्हाल, मंगलौर, आशारोड़ी, रुद्रपुर, बाजपुर, ठाकुरद्वारा, चिड़ियापुर, इकबालपुर, तिमली, पुलभट्टा, मझोला, सितारगंज, कौड़िया, नादेही, जसपुर, दोराहा, बनबसा, त्यूनी, मेघालघाट चेकपोस्ट को एक दिसंबर से बंद किया गया था। उप परिवहन आयुक्त एसके सिंह ने बताया कि फिलहाल चेकपोस्ट के कर्मचारी ही प्रवर्तन का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पर्यटन सहित विभिन्न विभागों के लिए अब एक ही कैमरा लगेगा, परिवहन विभाग इसका नोडल होगा। उन्होंने बताया कि तकनीकी समिति के सामने हुई बातचीत के बाद अब इसका टेंडर तैयार किया जा रहा है जो कि प्रकाशन अनुमति के लिए शासन को भेजा जाएगा।

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