
नई टिहरी(आरएनएस)। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में देश के करीब 16 राज्यों के छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती को हर्षोल्लास से मनाया। इस मौके पर पहाड़ी पकवान परोसे गये व पहाड़ी परिधानों का प्रदर्शन किया गया। बीते रविवार देर रात तक छात्र-छात्राओ ने मंडाण में नाचने के साथ ही भैलो भी खेला। वहीं वीर भड़ माधोसिंह भंडारी के जीवन पर आधारित झुमैलो गीत में भी भाग लिया। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती समारोह बग्वाल (दीपावली) के रूप में मनाया गया। छात्र कल्याण परिषद के तत्त्वावधान में छात्रों ने दो दिन तक उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम किये। पहले दिन साहित्य प्राध्यापक डॉ. शैलेंद्र नारायण कोटियाल ने महाभारत की रचना भूमि उत्तराखंड की धर्म-अध्यात्म, कला-संस्कृति व शौर्य गाथाओं का महत्व बताया। उप निदेशक प्रो. चंद्रकला आर कोंडी ने कहा कि, मैं भले ही पहाड़ की भाषा नहीं समझ पाती हूं, परंतु यहां का संगीत मन को बहुत आकर्षित करता है। हमें एक-दूसरे की संस्कृति और साहित्य को सीखना चाहिए। डॉ. वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल ने कहा कि, उत्तराखंड बनने के 25 वर्ष बाद हमारे पास कुछ उपलब्धियां हैं तो पलायन जैसी रिक्तियां भी हैं। निदेशक प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि, अपनी माटी, भाषा संस्कृति से जुड़े रहना हमें जीवन में अनेक सफलताएं प्रदान करता है। उत्तराखंड के छात्रों को गढ़वाली-कुमाउंनी भाषाओं में बात करने के साथ ही बाहरी राज्यों के छात्रों को भी ये भाषाएं सिखानी चाहिए। सांस्कृतिक संध्या में छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड के मांगलगीतों व हास्य-व्यंग्य की प्रस्तुतियों दी। कार्यक्रम में झंगोरे की खीर, भड्डू की दाल व पहाड़ी सब्जियां बनाई गयी। खेल मैदान में ढोल-दमांऊ व मशकबीन की धुन पर मंडाण (सामूहिक नृत्य) का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के चार सौ विद्यार्थियों के साथ निदेशक व शिक्षकों ने भी नृत्य किया। परिसर में पहली बार उड़ीसा, कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणाा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश के छात्र-छात्राएं यहां की संस्कृति से रूबरू हुए।





