ऊर्जा के निगमों का किसी भी सूरत में मंजूर नहीं होगा निजीकरण
देहरादून(आरएनएस)। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने ऊर्जा के निगमों के निजीकरण की किसी भी होने वाली तैयारी का विरोध किया। फेडरेशन की नई चुनी गई कार्यकारिणी ने निजीकरण को राष्ट्रविरोधी प्रक्रिया करार दिया। फेडरेशन के बेंगलूरु में हुए अधिवेशन में नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। नई कार्यकारिणी में शैलेन्द्र दुबे अध्यक्ष और रत्नाकर राव महासचिव चुने गए। उत्तराखंड से कार्तिकेय दुबे को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष का जिम्मा दिया गया है। कार्तिकेय दुबे ने कहा कि पॉवर सेक्टर के निजीकरण को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार कई बार निजीकरण का प्रयास कर चुकी है। 10 सालों में केंद्र सरकार पांच बार बिजली संशोधन बिल का मसौदा तैयार कर चुकी है। हालांकि दो लोकसभा के कार्यकाल में सरकार अपने इन प्रयासों में सफल नहीं हो पाई। इसके बावजूद अभी भी खतरा टला नहीं है। ये तय है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार फिर इसे मुद्दे को लाएगी। निजीकरण के इन प्रयासों का लगातार विरोध होगा। देश भर में निजीकरण से होने वाले नुकसान की जानकारियां साझा की जाएंगी।