जिला उपभोक्ता आयोग ने बैंक प्रबंधक को उपभोक्ता सेवा में कमी का दोषी पाया, उन्नीस लाख पैंसठ हजार तथा वाद व्यय अदा करने का आदेश

हरिद्वार। जिला उपभोक्ता आयोग ने बैंक प्रबंधक को उपभोक्ता सेवा में कमी का दोषी पाया है। आयोग ने बैंक प्रबंधक को बीमा कंपनी से 19,65,804 रुपये लेकर शिकायतकर्ता महिला के लोन खातों में जमा करने और शिकायत खर्च और अधिवक्ता फीस के रूप में दस हजार रुपये शिकायतकर्ता महिला को अदा करने के आदेश दिए हैं। शिकायतकर्ता महिला सुदेश देवी पत्नी मदन सिंह निवासी सुनहरा, सरस्वती विहार रामनगर, रुडक़ी ने सिविल लाइन स्थित पंजाब नेशनल बैंक के स्थानीय प्रबन्धक के खिलाफ एक शिकायत दायर की थी। बताया था कि उसके पति देहरादून स्थित छिद्दरवाला राजकीय इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक पद पर सेवारत थे। पति ने अपने जीवनकाल में स्वयं व शिकायतकर्ता के नाम पर आवासीय भवन निर्माण के लिए तीन लोन लिए थे। उक्त लोन की किश्तें नियमित रूप से जमा हो रही थीं। साथ ही, बैंक एग्रीमेंट में सेवा शर्तों के अनुसार बैंक प्रबंधक को शिकायतकर्ता के पति का खाते से प्रीमियम राशि की कटौती कर दिए गए लोन का बीमा कराया जाना शामिल था। कानूनी रूप से बैंक द्वारा जारी गाइड लाइन में भी उक्त शर्त दी हुई है। लेकिन प्रबन्धक ने शिकायतकर्ता के पति का बीमा नहीं कराया और न ही कोई कारण बताया था। अप्रैल 2018 में शिकायतकर्ता के पति की मृत्यु हो गई थी। जिस पर बीमा पॉलिसी कराई होती, तो शेष लोन किश्तों का भुगतान बीमा क्लेम के माध्यम से जमा हो जाता। लेकिन पति की मृत्यु के बाद शिकायतकर्ता लोन की किश्तें जमा नहीं कर पा रही है। जबकि बीमा पॉलिसी कराने की जिम्मेदारी बैंक प्रबन्धक की थी। जिसके संबंध में शिकायतकर्ता ने बैंक प्रबंधन को एक नोटिस भेजा था। लेकिन बैंक प्रबंधक ने शिकायतकर्ता महिला को शेष लोन की किश्तें चुकाने के लिए डिमांड नोटिस भेज दिया था।

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