राहत की बाट जोह रहे हैं ग्रामीण, न पानी मिल रहा है न बिजली

देहरादून। देहरादून से सटे टिहरी की सकलाना पट्टी में राहत और बचाव कार्य का हाल यह है कि चार दिन बाद भी कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है। ग्रामीणों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। लोग नदी के मटमैले पानी को छानकर पीने को मजबूर हैं। बेघर लोग स्कूल में शरण लिए हुए हैं। इस प्रभावित गांवों में न तो अधिकारी पहुंचे और न जनप्रतिनिधि।

जौनपुर विकासखंड की तौलिया काटल ग्राम पंचायत के चिफल्टी, ग्वाली डांडा, सौंदणा राजस्व गांव में चार दिन पहले चिफल्टी और सौंग नदी ने भारी तबाही मचाई। ग्राम प्रधान रेखा देवी ने डीएम टिहरी को भेजी रिपोर्ट में बताया कि उनकी पंचायत में चार मकान बह गए हैं। करीब 15 मकान बुरी तरह क्षतिगस्त हैं। रायपुर-धनोल्टी मार्ग के कुमल्डा से आ रहा संपर्क मार्ग बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। देहरादून की तरफ से सौंग नदी के किनारे-किनारे से आ रही सड़क भी बह चुकी है। तौलिया काटल के किसी भी गांव में अब तक बिजली बहाल नहीं हुई है। पेयजल लाइन टूटी हुई है। सड़क बंद है। चिफल्टी नदी पर दो पुल और सौंग नदी में लगी दो गरारी (ट्रॉली) बह गई हैं। पैदल आठ से दस किमी चलकर उन्हें कुमल्डा, मालदेवता पहुंचना पड़ा रहा है।

ग्रामीण दिगंबर पंवार ने समाचार एजेंसी आरएनरएस को बताया कि गांव के घराट और चक्की मलबे में दब गई हैं। बड़ी संख्या में पशुहानि हुई है। अदरक, मूली और धान के खेत बह गए हैं। मुख्य सिंचाई नहर तहस-नहस हो गई है। आम, कटहल, नींबू, आनार के बगीचे तबाह हो गए हैं। ज्यादातर लोग फल-सब्जियां उगाकर परिवार पालते हैं। उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। जिन लोगों के घर बहे हैं, उन्होंने ग्वाली डांडा स्कूल में शरण ली हुई है। मदद के नाम पर सिर्फ रविवार को एसडीआरएफ की टीम पहुंची थी। उन्होंने बेघर हुए लोगों को कुछ राशन दिया था। धनोल्टी विधायक प्रीतम पंवार ने कहा कि तौलिया काटल क्षेत्र में टीम भेजी थी। वहां राशन भी पहुंचाया गया है। बुधवार को फिर से उस क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी। अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा कि बिजली और पेयजल व्यवस्था सुचारू कराई जाएगी।

सरखेत में सुरेंद्र लापता, चिफल्टी में घर तबाह
टिहरी के चिफल्टी निवासी सुरेंद्र 19 अगस्त की शाम बहन के घर सरखेत (देहरादून) गए थे। जहां वह मलबे में दबकर लापता हैं। उनके बहनोई रमेश कैंतुरा भी लापता हैं। इधर 16 किमी दूर चिफल्टी में उनका घर मलबे में दब गया है। पत्नी नीलम देवी, 17 साल की बेटी और 12 और 13 साल के दो बेटे स्कूल में शरण लिए हुए। सुरेंद्र खच्चर चलाते थे, वह भी बह गए हैं। पत्नी और बच्चों का बुरा हाल है। राहत भी परिवार तक पर्याप्त नहीं पहुंची।