टिहरी झील में नहीं पर्याप्त सुविधाएं
नई टिहरी। टिहरी झील को पर्यटन मानचित्र पर उबारने के लिए भले शासन-प्रशासन लाख दावे करे, लेकिन अभी भी टिहरी झील में आने वाले पर्यटकों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बोट यूनियन का कहना है कि जब तक टिहरी झील में सुविधाओं को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक पर्यटकों का रिझाना मुश्किल है। टिहरी झील को पर्यटन मानचित्र पर उबारने के लिए वर्ष 2016 में टिहरी झील में बोटिंग की शुरूआत हुई। लगभग चालीस किमी के दायरे में फैली टिहरी झील में आज भी प्रतिदिन 100 से 500 तक पर्यटक बोटिंग के लिए पहुंचते हैं। गर्मियों में यात्रा सीजन शुरू होने पर भले ही यह संख्या चार अंकों तक भी पहुंचती है। टिहरी झील में समस्याओं को लेकर यदि देखा जाय तो अभी भी यहां पर पर्याप्त जेटी नहीं। जिसकी लगातार बोट यूनियन टाडा से मांग कर रहा है। जेटी मात्र चालीय बोटों के लिए हैं, लेकिन वर्तमान में बोटों की संख्या 100 के पार हो चुकी है। टिहरी झील का पानी मौसम के अनुरूप जब 90 से 100 मीटर नीचे आ जाता है, तो बोटिंग प्वाईंट भी डाउन हो जाता है। इस दौरान पर्यटकों को शौचालय व पीने की पानी की समस्या से रूबरू होना पड़ता है। देर शाम को लाईट न होन से परेशानी बढ़ती है। बोट यूनियन कई बार सोलर लाईटें जेटी पर लगाने की मांग कर चुका है। यात्रियों के लिए बैठने के लिए शेड व चैंजिंग रूम न होने से भी परेशानी उठानी पड़ती है। सीसीटीवी न होने से सुरक्षा व्यवस्था भी कमजोर है। कई बार चोरियां होने पर उनका खुलासा नहीं हो पाता है। श्री गंगा भागीरथी बोट यूनियन के संरक्षक कुलदीप पंवार का कहना है कि झील का पानी डाउन होने से बढ़ने वाली परेशानियों को लेकर पर्यटन विभाग व टाडा के स्तर पर कोई सोल्युशन नहीं निकाला गया है। जिससे बोट यूनियन सहित पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। समस्याओं को लेकर समय-समय टाडा, जिला प्रशासन व शासन को पत्र देकर अवगत कराया जाता रहा है। टिहरी झील में सुविधायें बढ़ने से पर्यटकों को रिझाना आसान होगा।