टिकट तो सिर्फ आठ का ही कटा………………..
देहरादून। कहने को भाजपा ने एक झटके में दस विधायकों को आउट कर दिया है। अभी 59 टिकट घोषित हुए हैं, जबकि 11 टिकट शेष हैं। 59 में से दो टिकट तो परिवार में ही रहे हैं। ऐसे में आठ ही विधायकों का टिकट कटा हुआ माना जाएगा। इन्हें बदलाव कहा जा सकता है। काशीपुर से चीमा के बेटे तो खानपुर से चैम्पियन की पत्नी को टिकट दिया है जबकि देहरादून कैंट से दिवंगत विधायक की पत्नी सविता कपूर को सांत्वना दी गई है, हालांकि इस सीट पर भाजपा में असंतोष के स्वर उठने लगे हैं। क्योंकि इसे यहां के लोग वंशवाद की परम्परा मान रही है।
यमकेश्वर से ऋतु का टिकट कटना कई सवाल खड़े करता है, क्या यह बी सी खंडूरी युग की विदाई है? यह सवाल तो अनुत्तरित ही रहेगा क्योंकि अब भाजपा ने बीसी खण्डूडी से लगभग किनारा ही कर लिया। अब भाजपा के लिए खण्डूडी है जरूरी जैसे नारे का कोई औचित्य नहीं रह गया है। हालांकि पौड़ी से मुकेश कोली की विदाई पहले से तय मानी जा रही थी। उनके स्थान पर राजकुमार को लाकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। कर्णप्रयाग में सुरेन्द्र सिंह नेगी अस्वस्थ हैं, उनके स्थान पर अनिल नौटियाल पर दांव खेल कर भाजपा ने सीट पक्की कर दी है। थराली में मुन्नी देवी से भाजपा ने पल्ला झाड़ लिया है। वैसे वह जीत राम का मुकाबला कर पाने में सक्षम नहीं थी। अब हो सकता है, भुपाल राम टम्टा मुकाबले को रोचक बना सकते हैं।
अल्मोड़ा में डिप्टी स्पीकर रघुनाथ का जाना तय माना जा रहा था। उनके बदले कैलाश शर्मा को टिकट दिया है। द्वाराहाट में बदलाव जरूरी था वरना नेगी का पाप भाजपा ढो नहीं पाती। पाँच साल झेलना काफी भारी रहा है। गंगोलीहाट में मीना का बदला जाना भी तय था। उस पर किसी को ताजुब्ब नहीं हुआ है। फकीर राम शायद बेहतर कर सकते हैं। चन्द्रा पंत को बदलने का कोई कारण भी नहीं था. इसलिए उन्हें यथावत रखा गया है। देहरादून जिले में सब कुछ पहले जैसा ही है। केवल त्रिवेन्द्र की सीट फाइनल होनी बाकी है। यहाँ ज़रूर दो सीटों पर बदलाव माना जा रहा था लेकिन पार्टी यहाँ चूक सी गई। राजपुर रोड में बदलाव की सम्भावना व्यक्त की जा रही थी लेकिन यहां खजानदास को फिर से टिकट देकर पार्टी ने कांग्रेस की राह आसान कर दी। यहां बदलाव को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
अब केदारनाथ में लोगों की दिलचस्पी बची है। इसी तरह कोटद्वार का मामला लंबित है, वहाँ हरक का विकल्प तलाशा जा रहा है। अभी हरिद्वार जिले में एक बदलाव की उम्मीद है। अगले दो तीन दिन में स्थिति साफ हो जाएगी। हालांकि कयास तेज हो गये हैं कि एक दो दिन में हरक की वापसी हो सकती है ऐसे में हरक को केदारनाथ या कोटद्वार से मैदान में उतारा जा सकता है। कहा तो यहाँ तक भी जा रहा है कि भाजपा डोईवाला से टिकट कांग्रेस के बाद ही फाईनल करेगी।