स्वच्छता सर्वेक्षण : महज तीन फीसदी जनता ने बताया कितना स्वच्छ है अपना दून

देहरादून। नगर निगम देहरादून में स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए कुल आबादी के महज तीन फीसदी लोगों ने सफाई व्यवस्था को लेकर अपना फीडबैक दिया है। पिछले साल के मुकाबले भी 94 फीसदी कम लोगों ने फीडबैक दिया है। फीडबैक देने में देहरादून पिछले साल जहां पहले नंबर पर रहा था, इस बार तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।

देहरादून में बीते साल रिकॉर्ड तीन लाख 20 हजार 876 लोगों ने सफाई व्यवस्था को लेकर अपना फीडबैक दिया था। दूसरे नंबर पर रहे रुड़की नगर निगम में सिटीजन फीडबैक की संख्या एक लाख 25 हजार 29 रही थी। इस बार कोई भी निकाय फीडबैक के मामले में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया है। उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम देहरादून में फीडबैक देने वालों की संख्या 18678 ही पहुंची। 18 साल से ऊपर के लोग फीडबैक दे सकते थे। 2018 के निकाय चुनाव में देहरादून में 6 लाख 28 हजार वोटर थे। इस हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा महज 2.97 फीसदी बैठता है। स्वच्छता सर्वेक्षण में जनभागेदारी की यह संख्या बहुत कम है। बताया जा रहा है इस बार मोबाइल नंबर पर ओटीपी की अनिवार्यता के चलते नगर निगम फिसड्डी साबित हुए हैं।

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सिटीजन फीडबैक के जो आंकड़े निकायों ने उपलब्ध करवाए हैं। उन्हें केंद्रीय टीम क्रॉस चेक करेगी। यह देखा जाएगा कि कहीं निकाय से बाहर क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने फीडबैक तो नहीं दे दिया। उसके बाद निकायों को स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए अंक मिलेंगे।

इस बार नगर निगम के सिटीजन फीडबैक के आंकड़े
हरिद्वार 25268
काशीपुर 24810
देहरादून 18678
रुड़की 15039
हल्द्वानी 11124
रुद्रपुर 10188

बीते साल इतने लोगों ने दिया था फीडबैक
देहरादून 320876
रुड़की 125029
रुद्रपुर 63096
हल्द्वानी 59988
हरिद्वार 45389
काशीपुर 39707

अफसरों के तबादले से दून को नुकसान
देहरादून में स्वच्छता सर्वेक्षण के बीच ही वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी और नगर आयुक्त का तबादला हो गया। जबकि सफाई व्यवस्था से लेकर स्वच्छता सर्वेक्षण की जिम्मेदारी अकेले एक नगर स्वास्थ्य अधिकारी को संभालनी पड़ रही है। जिससे निगम की ओर से शुरू किए गए अभियानों की ठीक से मॉनीटरिंग नहीं हो पाई।

ओटीपी देने से कई लोगों ने किया इंकार
नगर निगम की टीमों ने सिटीजन फीडबैक करवाने के लिए वार्डों में जाकर लोगों से अपील भी की और उन्हें फीडबैक देने का तरीका भी बताया। लेकिन ओटीपी की जानकारी साझा करने से ज्यादातर लोगों ने इंकार कर दिया।

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