सुप्रीम कोर्ट में महिला जज के चयन मामले में कॉलेजियम में हुआ मतभेद
नई दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने के पांच जजों का कॉलेजियम कर्नाटक हाई कोर्ट की जज बीवी नागरत्न को देश की सर्वोच्च अदालत की जज के रूप में नियुक्ति को लेकर एकमत नहीं है। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे की अगुवाई वाले कॉलेजियम में शामिल कुछ जजों का कहना है कि इससे कई उच्च न्यायालयों के जजों का हक मारा जाएगा जो नागरत्न से कहीं ज्यादा वरिष्ठ हैं।
चीफ जस्टिस बोबडे और एक अन्य जज ने नागरत्न का नाम कॉलेजियम के सामने रखा। इस कॉलेजियम में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एम खानविलकर शामिल हैं। अगर नागरत्न पर सहमति बनती तो वो भावी चीफ जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल फरवरी 2027 में खत्म होने के बाद देश की मुख्य न्यायाधीश बनतीं। हालांकि, कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने दलील दी कि अगर महिलाओं के कोटे से भी नागरत्न का चयन किया गया तो कई हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस की वरिष्ठता को नजरअंदाज करना होगा। इनमें कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अभय एस ओक, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस एल नारायण स्वामी के साथ-साथ वहीं के जज जस्टिस रवि वी. मलिमथ को भी बायपास करना होगा जो अन्य पिछड़ा जाति से हैं। कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस नागरत्न के नाम की सिफारिश की जाए तो जस्टिस ओक के साथ, वरना नहीं। लेकिन, इसमें क्षेत्रीय असंतुलन का पेच फंस रहा है क्योंकि दोनों कर्नाटक से ही हैं। अगर जस्टिस नागरत्न की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ती होती है तो वहां कर्नाटक के चार जज हो जाएंगे और जस्टिस ओक को भी शामिल किया गया तो यह संख्या पांच पर पहुंच जाएगा।