सोलर और हाइड्रो प्रोजेक्ट के रेट बढ़ाए जाएं

देहरादून। रिन्यूवल एनर्जी के नए नियम, योजना की लागत को तय करने से जुड़े मसलों पर मंगलवार को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में सुनवाई हुई। सोलर समेत हाइड्रो पॉवर के निवेशकों ने योजना की लागत के तय रेट को बढ़ाने की मांग की। सोलर प्रोजेक्ट के रेट पांच करोड़ और हाइड्रो प्रोजेक्ट के रेट प्रति मेगावाट 15 करोड़ किए जाने की मांग की।
आयोग में सुनवाई के दौरान अक्षय ऊर्जा एसोसिएशन के प्रतिनिधि अक्षय नेगी ने कहा कि बाजार में महंगाई तेजी से बढ़ी है। सोलर से जुड़े सामान, उपकरणों के रेट बहुत अधिक बढ़ गए हैं। पहले सोलर प्लांट पर जीएसटी पांच प्रतिशत थी, जो अब बढ़ कर 12 प्रतिशत हो गई है। इम्पोर्ट ड्यूटी 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। रुपये के मुकाबले डॉलर लगातार बढ़ता जा रहा है। सोलर प्लांट लगाने को जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं। अब जमीनों का लीज रेंट महंगा होता जा रहा है। ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ गई है। ऐसे में 3.60 करोड़ प्रति मेगावाट की लागत से सोलर प्लांट लगाना मुश्किल है। इससे निवेशकों को घाटे के सिवाय कुछ नहीं होने वाला है। खासतौर पर पहाड़ों पर मौजूदा रेट पर सोलर प्लांट लगाना पूरी तरह घाटे का सौदा साबित होगा। पहाड़ों पर लेबर महंगी है। ऊपर से स्टील, लोहा, कॉपर लगातार महंगा हो रहा है। कहा कि 11 केवी की बिजली लाइन लगाने का खर्चा 4.4 लाख और 33 केवी की लाइन का खर्चा 8.8 लाख तय किया गया है, जो बहुत कम है। इसे बढ़ा कर 13 से 18 लाख तक किया जाए।
कहा कि यूपीसीएल भुगतान करने पर रिवेट तो तत्काल काट देता है, लेकिन भुगतान देरी पर लेट पैमेंट सरचार्ज नहीं देता। न ही डीम्ड उत्पादन का लाभ देता है। व्हाइट कैटैगरी में आने के बावजूद पर्यावरण एनओसी के नाम पर परेशान किया जाता है। यूजेवीएनएल और उरेडा ने सोलर पॉवर को रिन्यूवल पॉवर ऑब्लीगेशन के दायरे में ही रखने की मांग की। यूजेवीएनएल ने सोलर प्लांट के कुल टैरिफ का दस प्रतिशत निगम के प्रशासनिक खर्चों में शामिल रखने की सुविधा को लागू रखने की मांग की। आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख दिया है। सुनवाई के दौरान कार्यवाहक अध्यक्ष डीपी गैरोला, सदस्य तकनीकी एमके जैन, सचिव नीरज सती, निदेशक वित्त दीपक पांडे आदि मौजूद रहे।