श्वान के काटने से पिता-पुत्र की मौत

बागली (आरएनएस)। बागली से लगभग 50 किमी दूर आदिवासी अंचल के ग्राम पोलखाल गांव के पुतलीपुरा में एक महीने में श्वान के पाँच लोगों को काटने की घटना सामने आई है। पीडि़तों में पिता और पुत्र की मौत हो गई जबकि अन्य लोग आज भी झाड़ फूंक से इलाज करा रहे हैं। अब तक स्वास्थ्य अमला नहीं पहुंचा जबकि संक्रमण के डर से ग्रामीणों ने परिवार में आना जाना छोड़ा है। अब तक परिवार के अन्य सदस्यों को रेबिज इंजेक्शन नहीं लगे हैं। कमलसिंह कोली (52), अजय कोली उसके दूधमुंहे बच्चे सहित दो पड़ोसियों को श्वान ने काट लिया था। श्वान के काटने के कुछ दिन बाद फरवरी में कमलसिंह को सबसे पहले लक्षण दिखने पर उसे पागलपन के दौरे आने लगे। परिजन उसे इलाज के लिए इंदौर के एमवाय अस्पताल ले गए। जहां अगले दिन एक फरवरी को उसकी मौत हो गई। इधर पिता की मौत को एक माह भी पूरा नहीं हुआ था कि मृतक कमलसिंह के बड़े पुत्र 26 वर्षीय अजय में भी उसी प्रकार के लक्षण दिखने लगे। पिता के इलाज और उनकी मृत्यु के बाद उत्तर कार्य के दौरान अजय भी संपर्क में आया और उसे भी परेशानी आने लगी। अजय महाराष्ट्र में अपने परिवार के साथ मजदूरी करता था। पिता के नुक्ते में गया था। लेकिन वहां जाकर उसकी तबीयत बिगड़ी। वहां पर भी उपचार करवाया लेकिन आराम नहीं मिलने पर अजय ने पोलखाल स्थित परिजन को फोन पर सूचना दी तब परिजन ने यहां से प्राइवेट वाहन भिजवाया। उसे लेकर सात मार्च को लौट रहे थे, लेकिन खलघाट पहुंचने पर मृतक अजय फोन पर किसी बताया कि उज्जैन के पास किसी देवस्थान पर श्वान के काटने का इलाज होता है। इसलिए वे वहां के लिए रवाना हो गए, लेकिन वहां पहुंचने के पहले रास्ते में ही अजय ने दम तोड़ दिया। एक महीने के अंतर से पिता और पुत्र दोनों की मौत हो गई। जबकि परिवार में दुधमुंहे बच्चा अन्य दोनों लोगों को अब तक रैबीज के टीके नहीं लगे वह झाडफ़ूंक के भरोसे इलाजरत हैं। नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपरी पर तो कितने लोगों को श्वान ने काटा उसकी जानकारी ही नहीं है दो लोगों की मौत की जानकारी है और लोग झाडफ़ूंक से इलाज करते हैं, परिजनों की मानें तो गांव के लोग घटना के बाद घर आते जाते नहीं हैं। दूर-दूरी रहते हैं, स्वास्थ्य विभाग या ग्राम पंचायत का एक भी व्यक्ति पीडि़तों के घर नहीं गया। जबकि आठ दिन पूर्व पोलखल में खंडस्तरीय शिविर में स्वास्थ्य विभाग सहित सभी विभागों से गांव में कैम्प किया था। पीडि़तों के परिवारजनों को अब तक किसी भी प्रकार की सरकार की किसी योजना का लाभ तक नहीं मिला है।