
रुड़की(आरएनएस)। इस वर्ष छठ पूजा का शुभ पर्व 25 अक्तूबर से 28 अक्तूबर 2025 तक मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाने वाला यह व्रत सूर्य षष्ठी, डाला छठ या प्रतिहार षष्ठी के नाम से प्रसिद्ध है। इस बार यह व्रत शनि और रिक्ता तिथि के शुभ संयोग में प्रारंभ हो रहा है, साथ ही रवि योग बनने से यह और अधिक फलदायी माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्य राकेश शुक्ला के अनुसार इस दुर्लभ योग में व्रत करने से सूर्य देव के साथ शनिदेव की भी विशेष कृपा प्राप्त होगी। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत की शुरुआत 25 अक्तूबर को नहाय-खाय से होगी, जिसमें व्रती महिलाएं पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर सात्विक भोजन करती हैं।
दूसरे दिन खरना पर गुड़-चावल या गन्ने के रस से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जल व्रत आरंभ होता है। तीसरे दिन व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं, वहीं चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं। इस वर्ष 27 अक्तूबर को सायं 5:40 बजे सूर्यास्त अर्घ्य और 28 अक्तूबर को प्रातः 6:30 बजे उदय अर्घ्य का समय रहेगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत संतान की रक्षा, पुत्र प्राप्ति और आरोग्यता के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।





