शिलगुर महाराज की पालकी अपने मूल मंदिर भूठ गांव पहुंची

विकासनगर। बाणाधार के बाणा गांव से प्रवास पर निकली शिलगुर महाराज की पालकी पांचवें दिन अपने गंतव्य भूठ गांव पहुंचीं। देव पालकी के गांव में पहुंचते ही शिलगुर महाराज के जयकारे गूंजने लगे। श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर खुशहाली की मन्नत मांगी। बीते रविवार को खत बाणाधार के बाणा गांव से शिलगुर महाराज की देव पाली के अगले प्रवास स्थल भूठ गांव के लिए प्रस्थान किया था। प्रवास यात्रा के दौरान देव पालकी बागड़ी (रात्रि विश्राम) के लिए पटियूड़ और डांगूठा में रुकी। दोनों की गांवों में दो-दो रात्रि विश्राम के बाद गुरुवार शाम देव पालकी अपने मूल मंदिर भूठ गांव पहुंची। जहां ग्रामीणों ने देवता का भव्य स्वागत किया। भटाड़, हरटाड़, छजाड़ के ग्रामीण सुबह से देवता का इंतजार कर रहे थे। गांव में प्रवेश करते ही पूरी शिलगांव खत शिलगुर महाराज के जयकारे से गूंज उठी। देर शाम तक गांव में देव दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। करीब सात बजे देव पालकी ने अपने प्रवास स्थल भूठ के लिए प्रस्थान किया। भूठ गांव में सुबह से ही ग्रामीण देवता के भव्य स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए थे। दोपहर बाद तक मंदिर प्रांगण श्रद्धालुओं से भर चुका था। रात नौ बजे देवता ने भूठ गांव में प्रवेश किया। जिसके बाद दस बजे रात्रि विधि-विधान पूर्वक देव पालकी को मंदिर के गर्भ गृह में स्थित सिंहासन में विराजमान किया गया। अब एक वर्ष तक मंदिर में श्रद्धालु अपने आराध्य देव का दर्शन कर पाएंगे। इस दौरान देवता के बजीर मेजर सिंह शर्मा, स्याणा महेंद्र सिंह, हरपाल चौहान, रमेश चौहान, विरेंद्र शर्मा, हरीश चौहान, यशपाल, सतपाल, राजेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, कलम सिंह, विजय सिंह, रविंद्र, खजान सिंह, रामानंद शर्मा, पान सिंह, फतेह सिंह, जगवीर, दीवान सिंह, दयाल सिंह आदि मौजूद रहे।
देव गीतों पर रातभर किया हारुल नृत्य: खत फनार के भूठ गांव में शिलगुर महाराज के प्रवेश की खुशी में देर रात तक श्रद्धालु ढोल, नगाड़ों रणसिंघा के साथ शिलगुर महाराज के जयकारे लगाते रहे। देवता के सिंहासन पर विराजमान होने बाद खत के ग्राीमणों ने रात भर मंदिर परिसर में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ देव हारुल पर नृत्य किया। हारुल के माध्यम से शिलगुर, विजट महाराज का वर्णन किया गया। हजारों श्रद्धालु रात भर देव गीतों पर नृत्य करते रहे। इस देव जागड़े में खत फनार, खत शिलगांव, खत बाणाधार के हजारों श्रद्धालु सम्मिलित हुए।