शिक्षा संकाय में सात दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला का हुआ आगाज

अल्मोड़ा। शैक्षिक कौशल, विद्यालय के दिशा निर्देश और पाठ्यक्रम मानक लगातार बदल रहे हैं। शिक्षक प्रशिक्षण में व्यावसायिकता समय की सबसे बड़ी जरूरत है। अकेले ज्ञान और अनुभव एक शिक्षक के पूरे करियर का समर्थन करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षक पाठ योजनाओं, कक्षाओं का संचालन, योजना बनाने और असाइनमेंट को ग्रेड करने आदि में अविश्वसनीय रूप से व्यस्त रहते हैं, जिसके कारण व्यावसायिक विकास, सीखना और चिंतन कभी-कभी पीछे छूट जाते हैं। यह बात सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में संकायाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल के दिशा निर्देशन में आयोजित सात दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला के शुभारंभ करते हुए डॉ संगीता पवार ने कही। इससे पहले डाॅ संगीता पवार और डाॅ नीलम ने कार्यशाला का आगाज दीप प्रज्ज्वलित कर किया। वहीं, सहायक प्राध्यापक डाॅ नीलम ने कहा कि वर्तमान समय में ई-लर्निंग या ऑनलाइन लर्निंग शिक्षक प्रशिक्षुओं के लिए काफी अहम हो गई है। वर्चुअल क्लासरूम या ऑनलाइन शिक्षण शिक्षकों को रचनात्मकता, सीखने, समुदाय निर्माण, आत्म-प्रतिबिंब आदि में सुधार करने में सहायता करता है। इस अवसर पर गेस्ट फैकल्टी के प्राध्यापकों के दिशा निर्देशन में संकाय में स्वच्छता अभियान भी चलाया गया। इस अवसर पर गेस्ट फैकल्टी ललिता रावत द्वारा कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में सरोज जोशी, अंकिता कश्यप, विनीता लाल, मनोज आर्य, डॉ ममता कांडपाल, मनोज कार्की आदि प्राध्यापक मौजूद रहे।

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