शराब तस्करी और हेराफेरी पर लगेगी लगाम
ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली के लिए 4.63 करोड़ के प्रविधान के प्रस्ताव को सीएम ने दी मंजूरी
देहरादून। उत्तराखंड में अब शराब की तस्करी और हेराफेरी पर लगाम कसने की कवायद तेज हो गई है। आबकारी विभाग के बजट में ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली के लिए 4.63 करोड़ के प्रविधान के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंजूरी प्रदान की। आबकारी विभाग में पारदर्शिता लाने की दिशा में लगातार कदम बढ़ाए जा रहे हैं। अब इसी क्रम में अक्टूबर 2019 में हुई कैबिनेट की बैठक में ट्रेस एंड ट्रैकिंग प्रणाली को लागू करने के लिए मंजूरी प्रदान की गई। बताया गया कि इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसी सॉफ्टवेयर के जरिये जीपीएस लगे वाहनों से ही शराब के साथ ही स्पिरिट और इथेनॉल की सप्लाई की जाएगी। वाहनों के रास्ता बदलने अथवा कहीं भी रुकने के संबंध में पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगी। गोदाम से शराब की बोतलों की निकासी से पहले हर बोतल पर एक क्यूआर कोड और होलोग्राम लगाया जाएगा। यह क्यूआर कोड कंप्यूटर पर दर्ज होगा। शराब की दुकानों में जांच के दौरान इस कोड को स्कैन किया जाएगा। इससे यह पता चल सकेगा कि एक दुकान की शराब किसी अन्य दुकान में तो नहीं बेची जा रही है। होलोग्राम से यह पता चलेगा कि यह शराब उत्तराखंड में ही बिक्री के लिए है। इसके लिए तीन साल तक नासिक की कंपनी से होलोग्राम छपवाए जाएंगे। इस पूरे काम में तकरीबन पांच करोड़ रुपये आने का अनुमान लगाया गया। विभाग ने जब इस संबंध में जानकारी एकत्र की तो इसकी अनुमानित लागत 4.63 करोड़ आंकी गई। यह प्रस्ताव विभाग ने शासन को भेजा था। जिस पर अब मुख्यमंत्री ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।