संविदा व प्रशिक्षित बेरोजगार नर्सेज महासंघ ने लिखित परीक्षा को निरस्त करने की मांग को सीएम को भेजा ज्ञापन

देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और एनएचएम के तहत संविदा पर तैनात स्टाफ नर्सेज ने नर्सिंग के पदों के लिए आयोजित होने वाली लिखित परीक्षा को रद्द करने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। संविदा व प्रशिक्षित बेरोजगार नर्सेज महासंघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे ज्ञापन में जल्द भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की है। महासंघ ने ऐसा न होने पर राज्यभर में उग्र आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। महासंघ के अध्यक्ष हरीकृष्ण बिजल्वाण ने कहा कि राज्य में आयुर्वेदिक स्टाफ नर्स, आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट, एलोपैथिक फार्मासिस्ट, एएनएम का चयन वरिष्ठता के आधार पर होता है लेकिन अकेले स्टाफ नर्स के लिए मानक बदल दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में अभी तक नर्सेज की भर्ती वरिष्ठता के आधार पर ही होती आई है। लेकिन इस बार सरकार जानबूझकर अस्पतालों में सेवा दे रहे बेरोजगारों को बाहर करने के लिए भर्ती परीक्षा कराने पर तुली हुई है। उन्होंने मांग की कि राज्य के अस्पतालों में पहले से ही संविदा, आउटसोर्स से लगे सभी संविदा कर्मियों को वरिष्ठता के आधार पर सेवायोजित किया जाए। उसके बाद शेष बचे पदों पर सरकार अपनी मर्जी के अनुसार भर्ती कर सकती है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मामूली वेतन पर 15 साल से सेवा करने के बाद अब उन्हें बाहर किया जा रहा है जो पूरी तरह गलत है। एक दिन पूर्व महासंघ का प्रतिनिधि मंडल स्वास्थ्य मंत्री से भी मिला था जिसमें तत्काल भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी।

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