संस्कृत शिक्षकों ने किया शासन-प्रशासन की बुद्धि-शुद्धि को यज्ञ

हरिद्वार। प्रदेश के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के संस्कृत शिक्षकों ने मंगलवार को संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय प्रबंधकीय शिक्षक समिति के बैनर तले उत्तराखंड संस्कृत अकादमी में शासन-प्रशासन की बुद्धि-शुद्धि के लिए यज्ञ किया। संस्कृत शिक्षक 2021 के शासनादेश के अनुसार मानदेय दिए जाने की मांग कर रहे हैं। संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय प्रबंधकीय शिक्षक समिति के प्रदेश अध्यक्ष भगवती बिजल्वाण ने बताया कि शासनादेश के अनुसार प्रदेश के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के 155 प्रबंधकीय संस्कृत शिक्षकों को निर्धारित मानदेय दिया जा रहा है। लेकिन संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य करने वाले 126 संस्कृत शिक्षकों को मानदेय से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री पुष्कार सिंह धामी संस्कृत शिक्षकों को मानदेय दिए जाने के लिए अपना अनुमोदन दे चुके हैं। लेकिन कुछ अधिकारी संस्कृत शिक्षकों को मानदेय दिए जाने से संबंधित फाइल में बार-बार कमी निकालकर संस्कृत शिक्षकों को मानदेय से वंचित करने का कार्य कर रहे हैं। बिजल्वाण ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं कि जाती है संगठन का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। इस अवसर पर डॉ. डॉ. जर्नादन कैरवान, नवीन पंत, श्याम लाल गौड़, मनोज शर्मा, आचार्य हेमंत तिवारी, रावेंद्र कुमार, रामेश्वर प्रसाद, अनूप रावत, कमेश ध्यानी, सूर्यप्रकाश रतूड़ी, अंजना उनियाल, प्रकाश तिवारी, मेवाराम गैरोला, जीवन आर्य चक्रपाणि मैठानी, अतुल कुमार, हरीश पांडे, विपिन उनियल, मुकेश कुमार, प्रदीप थपालियल आदि मौजूद थे।


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