आतंक का पर्याय बना गुलदार पिंजरे में कैद

विकासनगर। वन विभाग की 43 घंटे की कड़ी मशक्कत आखिरकार रंग ला ही गयी। सहसपुर क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना गुलदार आखिरकार गुरुवार तड़के वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गया। गुलदार के आंतक से पिछले आठ माह से सहसपुर क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ी हुई थी। महमूदनगर शंकरपुर में बच्चे को निवाला बनाने के बाद कर्फ्यू जैसे हालत में जी रहे शंकरपुर के लोग भी अब आजाद हो गये हैं। वन विभाग का कहना है गुलदार को पकड़ने के बाद विशेषज्ञों की टीम गुलदार के व्यवहार का अध्ययन करने में जुट गयी है। उसके बाद ही गुलदार के भविष्य को लेकर निर्णय लिया जाएगा। गुरुवार की सुबह चार बजे जैसे ही गुलदार शंकरपुर गांव में घटनास्थल के समीप लगे पिंजरे में कैद हुआ, ग्रामीणों के साथ वन विभाग के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में लोग पिंजरे में कैद आतंक का पर्याय बने गुलदार को देखने पहुंच गये। जहां सभी एक दूसरे को बधाई देने के साथ ही वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे थे। दरअसल, गुलदार आठ माह पहले गुलदार को मानसिक अस्पताल के समीप एक इमारत में घूमता हुआ देखा गया था। जिसके बाद गुलदार ने चार कुत्तों को मार डाला। गुलदार लगातार शंकरपुर के अलावा छरबा, रेडापुर व कैंचीवाला में भी चहलकदमी कर रहा था, जिससे लोग गुलदार की दहशत तले जी रहे थे। लेकिन गुलदार की दहशत तब लोगों में पैदा हुई, जब छह मई की शाम करीब साढ़े सात बजे महमूदनगर शंकरपुर गांव में गुलदार ने घर के आंगने में खेल रहे चार वर्षीय एहसान को अपना निवाला बनाया। जिसके बाद से महमूदनगर बस्ती से लेकर पूरे शंकरपुर में गुलदार का कर्फ्यू लग गया था। लोग सूर्यास्त होते ही घर के दरवाजे खिडकी बंद कर घरों में कैद होने को मजबूर थे। रेंज अधिकारी चौहडपुर मुकेश कुमार का कहना है कि गुलदार को सुबह चार बजे पिंजरे में कैद किया गया। गुलदार को वन विभाग अभी अपने संरक्षण में रखे हुए है। विशेषज्ञ व वन विभाग के अधिकारी गुलदार के व्यवहार पर अध्ययन करने में जुटे हैं।

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