साहब! दो माह से तनख्वाह नहीं मिली, दिला दो न

रेलवे पथ निर्माण सुमेरपुर में टनल के कार्य में लगे 32 बिहारी मजदूरों को ठेकेदार ने नहीं दी 2 माह से मजदूरी

रुद्रप्रयाग। साहब! हमारे पैसे तो दिला दो न मां बाप बच्चे बिन पैसे क्या खाएंगे बार बार घर से पैसे भेजने के लिए फोन कर रहे हैं। स्कूल में फीस कहाँ से देंगे। ठेकेदार साहब सिर्फ एक हजार रुपए देने की बात कर रहे हैं घर जाओ और खाते में डालने की बात कर रहे हैं। हमने दो महीने की तनख्वा मांगी घर भेजने के लिए उन्होंने कहा एक हजार लो और घर जाओ और हमारे बदले दूसरे मजदूरों को काम पर लगा दिया। इसे व्यथा कहें या मजबूरी। रुद्रप्रयाग जिले में गत वर्षों से ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे पथ का सुरंग/टनल का निर्माण कार्य रेलवे पथ सुमेरपुर में प्रगति पर चल रहा है। लेकिन सुरंग के निर्माण कार्य में लगे बिहार के 32 मजदूरों को ठेकेदार कुंवर सिंह चौहान ने 2 माह से तनख्वा/मेहनताना के नाम पर एक रुपए का ढेला तक नहीं दिया। मजदूरों ने पैसे न मिलने पर काम पर जाना बंद कर दिया। उनका कहना है की सिर्फ दाल भात खाकर काम करते हैं। और अब तो बिन काम और पैसे के खाना भी नसीब में नहीं है। मैस का खाना बंद हो गया है। चने खाने के साथ पानी पीकर रातें गुजार रहे हैं। विगत कई महीनों से सुरंग के अंदर निर्माण कार्य कर रहे हैं। यहाँ तक कि हमें अपने खर्चे के लिए उल्टे घर से पैसे मंगाने पड़ रहे हैं। मजदूरी की महीने की तनख्वा मांगी तो ठेकेदार कहता है कि एक हजार रुपए पकड़ो और घर जाओ, तुम्हारे खाते में डाल दूंगा। साहब ठेकेदार पैसे तो नही दे रहे हैं उल्टे हमें कह रहे हैं कि तुम लोग पुलिस कोतवाली जाओ थाने जाओ या पुलिस चौकी जाओ तुम्हे उत्तराखंड में कहीं भी काम नहीं करने देंगे। जबकि मजदूरों का कहना है कि जो हमसे पूर्व में ठेकेदार कुंवर सिंह चौहान के पास रेलवे पथ निर्माण कंपनी सुमेरपुर में सुरंग के अंदर कार्य करते थे उन्हें भी पैसा नहीं दिया गया वे लोग भी हमें फोन करके कहते हैं कि यदि तुम्हें ठेकेदार द्वारा पैसा दिया गया है तो हमारे पैसे भी भिजवा दो या दिला दो। इस संबंध में रेलवे कंपनी के उच्च अधिकारियों से हमारे मेहनताना/महीने की तनख्वा दिलाने व देने की बात की तो उन्होंने कहा की हमने ठेकेदार को पैसे दे दिए हैं। साहब हम कहाँ जाएं मां बाप बच्चे घर से पैसे भेजने के लिए अलग से परेशान कर रहे हैं कोई कह रहा है राशन भरना है कोई कह रहा है बच्चों की फीस खाना पानी भरेंगे और कहाँ से करेंगे। हम जाएं तो जाएं कहाँ? मजबूरन हम आज इस तपती गर्मी में कोतवाली रुद्रप्रयाग में अपनी शिकायत/फरियाद लेकर कोतवाल साहब के पास आए हैं उन्होंने जल्द हमारी समस्या का हल निकालने की बात कही है।


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